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मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/सहारनपुर। कैराना लोकसभा क्षेत्र की समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले में सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। उत्तर रेलवे उपभोक्ता सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य और कैराना के अधिवक्ता मेहरबान कुरैशी ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को शिकायती पत्र भेजकर इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह घटना 1 जुलाई 2025 को हुई, जब सांसद इकरा हसन छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्षा शमा परवीन के साथ जनसरोकारी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए एडीएम प्रशासन के कार्यालय गई थीं।
घटना का विवरण
कैराना के मोहल्ला छड़ियान निवासी और जनपद न्यायालय शामली ऐट कैराना में वकालत करने वाले अधिवक्ता मेहरबान कुरैशी ने अपने शिकायती पत्र में बताया कि सांसद इकरा हसन ने पूर्व सूचना देकर सहारनपुर के एडीएम प्रशासन के कार्यालय में मुलाकात का समय लिया था। वे छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्षा शमा परवीन के साथ क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा करने गई थीं। हालांकि, एडीएम अपने कार्यालय में समय पर मौजूद नहीं थे और न ही उन्होंने सांसद के फोन कॉल का जवाब दिया।
लगभग दो-तीन घंटे की प्रतीक्षा के बाद, जब एडीएम कार्यालय पहुंचे, तो उन्होंने शमा परवीन के साथ अपशब्दों का इस्तेमाल शुरू किया। जब सांसद इकरा हसन ने इस व्यवहार पर आपत्ति जताई और हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो एडीएम ने उनके साथ भी अभद्र व्यवहार किया और कथित तौर पर उन्हें कार्यालय से बाहर जाने के लिए कहा। मेहरबान कुरैशी ने अपने पत्र में इस व्यवहार को प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन और अनुशासनहीन आचरण करार देते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
शिकायती पत्र और मांग
शिकायती पत्र में मेहरबान कुरैशी ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि एडीएम का यह आचरण न केवल जनप्रतिनिधि के सम्मान के खिलाफ है, बल्कि यह संसदीय विशेषाधिकारों का भी हनन है। उन्होंने कहा कि यह घटना भारत सरकार के गृह मंत्रालय और कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती है। पत्र में मांग की गई है कि एडीएम के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
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सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने कैराना और सहारनपुर में व्यापक रोष पैदा किया है। समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से महिला सांसद, के प्रति अपमानजनक व्यवहार का मामला बताया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “जो अधिकारी एक सांसद का सम्मान नहीं कर सकता, वह आम जनता का क्या सम्मान करेगा?” सपा जिलाध्यक्ष चौधरी अब्दुल वाहिद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर एडीएम के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
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कैराना के अधिवक्ता समुदाय ने भी इस मामले में एकजुटता दिखाई। दर्जनों अधिवक्ताओं ने तहसील मुख्यालय पर एकत्र होकर राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन राजस्व निरीक्षक अरविंद कुमार को सौंपा। इस अवसर पर राशिद अली, नसीम अहमद, मनीष कौशिक, सालिम अली, मोहम्मद मुस्तफा, अफजाल अहमद, अजय चौधरी, वीरेंद्र विश्वकर्मा, मोनू चौधरी, नायब सिद्दीकी, सरवेज जंग, सुशील कुमार, अरशद खान, नत्थू सिंह, अरुण, और किसान नेता आमिर अली मौजूद रहे।
सांसद इकरा हसन का रुख
सांसद इकरा हसन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और मंडलायुक्त, प्रमुख सचिव नियुक्ति, और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने एडीएम के व्यवहार को महिला विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि ऐसे अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से महिलाओं, के साथ व्यवहार करने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। उन्होंने इस मामले को लोकसभा विशेषाधिकार समिति में उठाने की भी चेतावनी दी है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
मंडलायुक्त अटल कुमार राय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सहारनपुर के जिलाधिकारी मनीष बंसल को जांच के आदेश दिए हैं। डीएम ने एडीएम से इस संबंध में जवाब मांगा है। हालांकि, एडीएम ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्होंने सांसद के कार्यालय में पहुंचने की सूचना मिलते ही मुलाकात की थी और उन्हें बाहर जाने के लिए नहीं कहा। उन्होंने दावा किया कि उनकी बात केवल छुटमलपुर ईओ से संबंधित थी, जिसके लिए लिखित शिकायत मांगी गई थी।
सामाजिक और लोकतांत्रिक महत्व
यह घटना सहारनपुर और कैराना में व्यापक चर्चा का विषय बन गई है। सपा नेताओं ने इसे न केवल प्रोटोकॉल उल्लंघन, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादा पर हमला करार दिया है। सपा नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा करते हुए इसे महिला जनप्रतिनिधियों के प्रति अपमानजनक रवैये का उदाहरण बताया। पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि सांसद इकरा हसन उनके लिए बेटी समान हैं और इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है।
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मंडलायुक्त की जांच के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई तय होगी। सपा नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करेंगे। यह मामला प्रशासनिक जवाबदेही, जनप्रतिनिधियों के सम्मान, और लोकतांत्रिक मर्यादा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।