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मेहरबान अली कैरानवी
शामली/कांधला। समाजवादी पार्टी द्वारा कांधला क्षेत्र के गांव गंगेरू में रविवार, 20 जुलाई 2025 को आयोजित पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पंचायत ने सामाजिक न्याय, राजनीतिक भागीदारी और वंचित वर्गों की एकता को लेकर एक सशक्त संदेश दिया। इस आयोजन में समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष विनीत कुशवाहा और पसमांदा मुस्लिम समाज के जिलाध्यक्ष आस मोहम्मद उर्फ सोनू मंसूरी ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। पंचायत का उद्देश्य पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को एकजुट कर उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और उन्हें सामाजिक-राजनीतिक मुख्यधारा में लाना था।
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सामाजिक न्याय की पुनर्परिभाषा: विनीत कुशवाहा
विनीत कुशवाहा ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि पीडीए केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की पुनर्रचना का एक मंच है। उन्होंने कहा, “आज का युवा केवल डिग्रियों तक सीमित न रहे, बल्कि संविधान में प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करे।” कुशवाहा ने भाजपा सरकार पर शिक्षा, रोजगार और सामाजिक समरसता के मुद्दों पर विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने पीडीए के प्रमुख उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा:
शोषित वर्गों को राजनीतिक भागीदारी: वंचित समुदायों को विधायिका और प्रशासन में उचित प्रतिनिधित्व दिलाना।
शिक्षा और रोजगार में समानता: सभी वर्गों के लिए शिक्षा और रोजगार के समान अवसर सुनिश्चित करना।
संविधान की भावना का प्रसार: संविधान की मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाना और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना।
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कुशवाहा ने युवाओं से अपील की कि वे जाति और धर्म की संकीर्णता से ऊपर उठकर सामाजिक परिवर्तन के वाहक बनें। उन्होंने कहा कि पीडीए एक ऐसी पहल है, जो समाज के हर वंचित व्यक्ति को उसका हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पसमांदा समाज की आवाज: आस मोहम्मद मंसूरी
पसमांदा मुस्लिम समाज के जिलाध्यक्ष आस मोहम्मद उर्फ सोनू मंसूरी ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि उनका संघर्ष सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकारों की पुनर्प्राप्ति के लिए है। उन्होंने पीडीए को वंचित वर्गों की एकता का प्रतीक बताते हुए कहा, “यह फार्मूला सामाजिक समरसता और राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देता है।” मंसूरी ने विशेष रूप से पसमांदा समाज के युवाओं से आग्रह किया कि वे:

राजनीतिक भागीदारी को अपनाएं: अपने अधिकारों को समझें और नेतृत्व की भूमिका निभाएं।
शिक्षा में सक्रिय रहें: शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण हासिल करें।
भेदभाव के खिलाफ एकजुट हों: सामाजिक और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं।
मंसूरी ने कहा कि पसमांदा समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए समाजवादी पार्टी की यह पहल एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पीडीए नीति की सराहना की और इसे सामाजिक न्याय का एक मजबूत आधार बताया।
आयोजन का महत्व
गंगेरू में आयोजित इस पीडीए पंचायत ने न केवल सामाजिक न्याय और समरसता के मुद्दों को उठाया, बल्कि स्थानीय स्तर पर वंचित वर्गों को संगठित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन समाजवादी पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पिछड़ा, दलित, और अल्पसंख्यक (पीडीए) समुदायों को एकजुट कर उनकी आवाज को मजबूत करना और उन्हें राजनीतिक-सामाजिक मंच प्रदान करना शामिल है।
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पंचायत में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, खासकर युवा और महिलाएं, शामिल हुए। वक्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना और डॉ. भीमराव आंबेडकर के सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए इन समुदायों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
यह पंचायत ऐसे समय में आयोजित हुई है, जब उत्तर प्रदेश में सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण के मुद्दे चर्चा में हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की पीडीए रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें पार्टी ने वंचित वर्गों को एकजुट कर कई सीटों पर जीत हासिल की थी। इस रणनीति को और मजबूत करने के लिए इस तरह की पंचायतें ग्रामीण स्तर पर आयोजित की जा रही हैं।
कांधला क्षेत्र, जो सामाजिक और सांप्रदायिक विविधता के लिए जाना जाता है, में इस आयोजन ने स्थानीय समुदायों में एकता और जागरूकता का संदेश दिया। यह क्षेत्र पहले भी सामाजिक तनाव का गवाह रहा है, और इस तरह के आयोजन सामुदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
भविष्य की योजनाएं
विनीत कुशवाहा और आस मोहम्मद मंसूरी ने घोषणा की कि समाजवादी पार्टी आगामी समय में और अधिक पीडीए पंचायतों का आयोजन करेगी, ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वंचित वर्गों को संगठित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम शुरू करेगी।
सामुदायिक प्रतिक्रिया
आयोजन में शामिल लोगों ने पीडीए पंचायत को सामाजिक न्याय और समरसता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। स्थानीय निवासियों ने कहा कि इस तरह के मंच न केवल उनकी समस्याओं को उठाने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी करते हैं। खास तौर पर, पसमांदा समाज के लोगों ने इस पहल की सराहना की और इसे अपनी आवाज को बुलंद करने का एक प्रभावी मंच बताया।
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गंगेरू में आयोजित पीडीए पंचायत ने सामाजिक न्याय, समानता और वंचित वर्गों की एकता के लिए एक मजबूत संदेश दिया। समाजवादी पार्टी की इस पहल ने न केवल स्थानीय समुदायों को संगठित किया, बल्कि संविधान की मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाने का भी प्रयास किया। यह आयोजन सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो भविष्य में और अधिक प्रभावी परिणाम देगा।