अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंधों, जिन्हें “रोटी-बेटी का रिश्ता” कहा जाता है, के बावजूद हाल के दिनों में नेपाल में भारतीय नंबर प्लेट की गाड़ियों और नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह स्थिति न केवल दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि नेपाल की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल सकती है।
नेपालगंज में भारतीय नागरिक के साथ दुर्व्यवहार
हाल ही में नेपालगंज में एक ताजा घटना सामने आई, जिसमें एक भारतीय नागरिक के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। पीड़ित, जिसने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर जानकारी दी, अपनी निजी कार (नंबर UP 32 JH 0668) के साथ निजी कार्य से नेपालगंज गया था। रास्ते में उसकी गाड़ी की एक नेपाली नंबर की गाड़ी से हल्की टक्कर हो गई, जिसमें एक व्यक्ति को मामूली चोट आई। दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से मामले का निपटारा कर लिया, और घायल व्यक्ति का उपचार भी भारतीय नागरिक द्वारा करवाया गया।
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हालांकि, कुछ ही देर बाद वहां अचानक भीड़ जमा हो गई, और अज्ञात लोगों ने भारतीय नागरिक की कार को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा उसके साथ मारपीट की। इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं, जैसे कि भीड़ इतनी जल्दी कहां से आई और इसका मकसद क्या था। नेपाल-भारत सीमा संवाद समूह के जिला बांके अध्यक्ष विनय चंद गुप्ता ने इस घटना की पुष्टि करते हुए इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “इस तरह के कृत्य का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। हमारी संस्था इस घटना का विरोध करती है और इसे लुंबिनी प्रदेश के गृह मंत्री के समक्ष उठाएगी।” गुप्ता ने बताया कि उनकी पीड़ित भारतीय नागरिक से बात हुई थी, और यह घटना नेपाल में भारतीयों के प्रति बढ़ती नफरत और पूर्वाग्रह का उदाहरण है।
नेपाल में भारतीय पर्यटकों के साथ व्यवहार
नेपाल सरकार एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, जिसमें भारत से अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करना शामिल है। नेपालगंज में सात कैसिनो को लाइसेंस दिए गए हैं, जहां केवल भारतीय पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति है। इसके बावजूद, जमीनी स्तर पर भारतीय पर्यटकों को पुलिस और प्रशासन द्वारा परेशान किए जाने की शिकायतें बढ़ रही हैं।
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नेपाल पुलिस द्वारा भारतीय रुपये लेकर नेपालगंज जाने वाले लोगों को रोका जा रहा है, उनसे पूछताछ की जा रही है, और कई मामलों में रुपये जब्त किए जा रहे हैं। कुछ मामलों में लोगों को जेल भेजने की भी शिकायतें सामने आई हैं। भारतीय नंबर प्लेट की गाड़ियों को अनावश्यक रूप से रोका जा रहा है, और उनके साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही हैं।
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लुंबिनी प्रदेश के आंतरिक मामले और कानून मंत्री आदेश अग्रवाल ने हाल ही में इस मुद्दे पर चिंता जताई थी। उन्होंने निर्देश दिए थे कि सीमा पर भारतीय गाड़ियों और नागरिकों को अनावश्यक रूप से न रोका जाए और पुलिस को उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए, ताकि नेपाल में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
दोनों देशों के संबंधों पर प्रभाव
भारत और नेपाल के बीच 1950 के शांति और मैत्री संधि के तहत खुली सीमा और लोगों की स्वतंत्र आवाजाही की सुविधा है। यह संधि दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे के देश में काम करने, रहने और व्यापार करने की अनुमति देती है। इसके बावजूद, हाल की घटनाएं, जैसे नेपालगंज में भारतीय नागरिक के साथ मारपीट और सीतामढ़ी के भिट्ठामोड़ सीमा पर नेपाली सुरक्षाकर्मियों द्वारा भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार, दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा कर सकती हैं।
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कुछ राजनीतिक तत्वों द्वारा इन घटनाओं को हवा देने की आशंका जताई जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों में दरार डालना हो सकता है। नेपाल के कुछ हिस्सों में भारतीयों के प्रति नकारात्मक भावनाएं भड़काने की कोशिशें देखी गई हैं, जो 2015 की मधेसी आंदोलन और कथित आर्थिक नाकाबंदी के बाद से समय-समय पर उभरती रही हैं।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान 7% से अधिक है, और भारतीय पर्यटक इसमें सबसे बड़ा हिस्सा (लगभग 30% विदेशी पर्यटक) रखते हैं। भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी से नेपाल के पर्यटन क्षेत्र, विशेष रूप से काठमांडू, पोखरा, चितवन, और लुंबिनी जैसे पर्यटन स्थलों पर गहरा आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है।
कैसिनो उद्योग: नेपालगंज के कैसिनो, जो मुख्य रूप से भारतीय पर्यटकों पर निर्भर हैं, प्रभावित हो सकते हैं।
होटल और परिवहन: भारतीय पर्यटकों की कमी से होटल, रेस्तरां, और परिवहन सेवाएं भी प्रभावित होंगी।
सांस्कृतिक पर्यटन: नेपाल के धार्मिक स्थल, जैसे पशुपतिनाथ और लुंबिनी, भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन घटनाओं से तीर्थयात्रा पर भी असर पड़ सकता है।
यदि भारतीय पर्यटक नेपाल की यात्रा कम करते हैं, तो यह नेपाल की विदेशी मुद्रा आय और रोजगार सृजन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
सीमा क्षेत्र की मांगें और समाधान
सीमा क्षेत्र के लोग और संगठन, जैसे नेपाल-भारत सीमा संवाद समूह, मांग कर रहे हैं कि नेपाल प्रशासन और पुलिस ऐसी घटनाओं को गंभीरता से ले और तत्काल रोकथाम के उपाय करे। कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
पुलिस प्रशिक्षण: नेपाल पुलिस को भारतीय पर्यटकों के साथ संवेदनशील और मैत्रीपूर्ण व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
संयुक्त समिति: भारत और नेपाल के बीच एक संयुक्त समिति गठित की जाए, जो सीमा पर होने वाली घटनाओं की निगरानी और समाधान करे।
जागरूकता अभियान: दोनों देशों में सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
कानूनी कार्रवाई: दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
भारत और नेपाल के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए, इन घटनाओं को तत्काल नियंत्रित करना दोनों देशों के हित में है। नेपाल सरकार को अपनी पर्यटन नीतियों और जमीनी कार्रवाइयों में सामंजस्य लाना होगा, ताकि भारतीय पर्यटकों का विश्वास बहाल हो सके। दूसरी ओर, भारत को भी कूटनीतिक स्तर पर इन मुद्दों को उठाकर दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को मजबूत करना चाहिए। यदि यह सिलसिला नहीं रुका, तो इसका असर न केवल द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा, बल्कि नेपाल की अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय स्थिरता भी प्रभावित होगी।