अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर/गढ़वट। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को समीपस्थ ग्राम गढ़वट में महामाया संगीत विद्यालय और सरस्वती शिशु मंदिर, गढ़वट द्वारा एक भव्य गुरु पूजन और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध संगीता चार्य चैतराम श्रीवास, उनकी धर्मपत्नी उर्मिला श्रीवास, और नाद ब्रह्म संगीत एकेडमी, रतनपुर के संचालक तबला वादक दीपक साहू (संगीत विशारद, एम.ए., आईकेएसवीवी) को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत और भक्ति भजनों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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गुरु पूजन और कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके पश्चात, महामाया संगीत विद्यालय, गढ़वट की शिष्या पता साहू और अन्य शिष्यों ने माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की, जिसने समारोह को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माहौल प्रदान किया। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने गुरु पूजन कर अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया।

संगीत प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम में संगीत की शानदार प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिन्होंने श्रोताओं का मन मोह लिया। नाद ब्रह्म संगीत एकेडमी के संचालक दीपक साहू ने संगीत गुरु चैतराम श्रीवास के गायन के साथ तबले पर सोलह वादन प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर श्रोता समाज मंत्रमुग्ध हो गया। उनकी यह प्रस्तुति शास्त्रीय संगीत की गहराई और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को दर्शाती थी। इसके अलावा, ग्राम गतौरी के परमेश साहू, चेतानंद, और विनोद कुमार ने सुंदर भक्ति भजनों की प्रस्तुति दी, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा। इन भजनों ने गुरु पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व को और भी गहरा कर दिया।
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गुरु सम्मान समारोह
नाद ब्रह्म संगीत एकेडमी, रतनपुर द्वारा संगीत गुरु चैतराम श्रीवास और उनकी धर्मपत्नी उर्मिला श्रीवास को शाल, श्रीफल, और प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, दीपक साहू को भी उनके संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह गुरु-शिष्य परंपरा और संगीत कला के प्रति उनके समर्पण को श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास था। सम्मानित गुरुओं ने इस अवसर पर अपने अनुभव साझा किए और युवा पीढ़ी को संगीत और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रेरित किया।
उपस्थिति और आयोजन
कार्यक्रम में गढ़वट और रतनपुर के साहित्य और संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। नूतन नाट्य कला मंडल, गढ़वट के कलाकार पुरुषोत्तम चंद्राकर, रामफल साहू, जुगल किशोर कश्यप, और तुकाराम चंद्राकर विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन पवन कुमार वैष्णव ने किया, जिन्होंने अपनी सहज और प्रभावी प्रस्तुति से आयोजन को जीवंत बनाए रखा। आभार प्रदर्शन नाद ब्रह्म संगीत एकेडमी के संगीत शिक्षक जनक राम साहू ने किया, जिन्होंने सभी उपस्थित कलाकारों, श्रोताओं, और आयोजकों का हृदय से धन्यवाद किया।
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सामुदायिक और सांस्कृतिक महत्व
गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन न केवल गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर था, बल्कि यह संगीत और कला के माध्यम से सामुदायिक एकता को बढ़ावा देने का भी एक मंच साबित हुआ। महामाया संगीत विद्यालय और सरस्वती शिशु मंदिर, गढ़वट के इस प्रयास ने स्थानीय समुदाय में सांस्कृतिक जागरूकता को प्रोत्साहित किया। एक उपस्थित श्रोता ने कहा, “ऐसे आयोजन हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को याद दिलाते हैं।”
आयोजकों की प्रतिबद्धता
आयोजकों ने बताया कि इस तरह के आयोजन भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे ताकि संगीत, कला, और सांस्कृतिक मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जा सके। नाद ब्रह्म संगीत एकेडमी और महामाया संगीत विद्यालय ने संगीत शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
गढ़वट में आयोजित यह गुरु पूर्णिमा समारोह न केवल संगीत गुरुओं के प्रति सम्मान का प्रतीक था, बल्कि यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को जीवित रखने का भी एक शानदार प्रयास था। यह आयोजन स्थानीय समुदाय के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को रेखांकित करता रहा।