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Ratanpur news; पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की स्मृति में रतनपुर में पावस काव्य गोष्ठी का आयोजन, कवियों ने दी भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ

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अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप

रतनपुर/कोटा। सर्वोदय साहित्य कला मंच, कोटा द्वारा राधा माधव धाम, रतनपुर में मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की पावन स्मृति में एक पावस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में कोटा और रतनपुर के साहित्य प्रेमियों और कवियों ने भाग लिया, जिन्होंने अपनी भावपूर्ण रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके साहित्यिक योगदान को याद किया गया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ और श्रद्धांजलि

काव्य गोष्ठी की शुरुआत स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे के चित्र पर माल्यार्पण और श्रद्धा सुमन अर्पित करके की गई। सर्वोदय साहित्य कला मंच की अध्यक्ष सोमप्रभा तिवारी ने स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व, कृतित्व, और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कवि मंचों पर उनकी लोकप्रियता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि डॉ. दुबे न केवल एक उत्कृष्ट कवि थे, बल्कि उनकी रचनाएँ सामाजिक जागरूकता और मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहित करती थीं। उनकी कविताएँ हास्य, व्यंग्य, और सामाजिक संदेशों का अनूठा संगम थीं, जो आज भी साहित्य प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं।

पावस काव्य गोष्ठी की प्रस्तुतियाँ

काव्य गोष्ठी में कोटा और रतनपुर के प्रख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर किया। सोमप्रभा तिवारी ने नारी सशक्तिकरण पर आधारित अपनी गीत और कविता प्रस्तुत की, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। कोटा के कवि मोहित साहू, चंद्रप्रकाश साहू, और ज्योति श्रीवास ने अपनी रचनाओं से मंच को जीवंत कर दिया और श्रोताओं की तालियाँ बटोरीं।

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रतनपुर के वरिष्ठ कवि और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कांशीराम साहू, डॉ. राजेंद्र कुमार वर्मा, ब्रजेश श्रीवास्तव, प्रमोद कश्यप, रामेश्वर शांडिल्य, सुकदेव कश्यप, और दिनेश पांडेय ने अपनी कविताओं से श्रोताओं के दिलों को छू लिया। इन रचनाओं में पावस ऋतु की सुंदरता, सामाजिक मुद्दों, और मानवीय संवेदनाओं का समावेश था, जिसने गोष्ठी को और भी प्रभावशाली बना दिया।

कवियों का सम्मान

कार्यक्रम में श्रीवास समाज की संभागीय महिला पदाधिकारियों ने सभी कवियों को कलम भेंटकर सम्मानित किया। यह सम्मान कवियों के साहित्यिक योगदान और स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की स्मृति में आयोजित इस आयोजन में उनकी भागीदारी की सराहना का प्रतीक था। कवियों ने इस सम्मान के लिए आयोजकों और श्रीवास समाज का आभार व्यक्त किया।

श्रद्धांजलि और समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों और उपस्थित श्रोताओं ने स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उपस्थित साहित्य प्रेमियों ने उनकी साहित्यिक उपलब्धियों और सामाजिक योगदान को याद किया। कार्यक्रम का संचालन सोमप्रभा तिवारी और ब्रजेश श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया, जिन्होंने अपनी सूझबूझ और प्रभावी प्रस्तुति से आयोजन को यादगार बना दिया।

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सामुदायिक और साहित्यिक महत्व

यह काव्य गोष्ठी न केवल स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की स्मृति को सम्मान देने का एक मंच थी, बल्कि यह साहित्य और कला के माध्यम से सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने का भी एक प्रयास था। कोटा और रतनपुर के साहित्य प्रेमियों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए इसे क्षेत्र में साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने वाला बताया। एक श्रोता ने कहा, “इस तरह के आयोजन साहित्य को जीवंत रखते हैं और हमें अपने साहित्यिक नायकों को याद करने का अवसर प्रदान करते हैं।”

उपस्थिति और आयोजकों की भूमिका

कार्यक्रम में कोटा और रतनपुर के साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे, जिन्होंने कवियों की रचनाओं का उत्साहपूर्वक आनंद लिया। सर्वोदय साहित्य कला मंच के प्रयासों और श्रीवास समाज के सहयोग से यह आयोजन सुचारू और सफल रहा। आयोजकों ने भविष्य में भी इस तरह के साहित्यिक आयोजनों को नियमित रूप से आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई, ताकि साहित्य और कला के प्रति रुचि को और बढ़ाया जा सके।

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पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की स्मृति में आयोजित यह पावस काव्य गोष्ठी रतनपुर और कोटा के साहित्यिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। यह आयोजन न केवल उनकी साहित्यिक विरासत को जीवित रखने का एक प्रयास था, बल्कि यह साहित्य प्रेमियों को एकजुट करने और सामाजिक चेतना को बढ़ाने का भी एक शानदार मंच रहा।

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