अफसरशाही के दम पर नियम विरुद्ध डिप्टी रेंजर को दिया गया है वित्तीय प्रभार
अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। धार्मिक नगरी रतनपुर मे वन विभाग का हाल बेहाल है। आज से महज 4 से 5 वर्ष पहले अखबारों में रतनपुर में तेंदुए की धमक नामक शीर्षक से खबर प्रकाशित हुआ करती थी । बिलासपुर वन मंडल में रतनपुर परिक्षेत्र की हरियाली एवं घने जंगल मां महामाया की पावन नगरी में आगंतुकों का बरबस ही मन मोह लिया करते थे। बानाबेल एवं पूडू के घने जंगल जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित आवास हुआ करती थी। परंतु अब यह केवल स्वप्न सा प्रतीत होता है। महज 4 से 5 वर्षों में आज रतनपुर के घने जंगलों के स्थान पर ठूंठ शेष रह गए हैं। जहां पहले गहरी हरियाली एवं पक्षियों की चहचहाहट गूंजायमान हुआ करती थी वहां अब अतिक्रमण एवं मानवीय शोरगुल ही शेष रह गए हैं। वन क्षेत्र की नदियों से अवैध रेत उत्खनन कर ले जाते हुए दर्जनों ट्रैक्टर देखे जा सकते हैं। रतनपुर परिक्षेत्र में इतनी तेजी से हरियाली का नष्ट होना उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।

वन के हरियाली का अवैध रूप से दोहन अधिकारियों की उदासीनता को दर्शाती है। जिसके विभिन्न प्रमाण है।
बानाबेल परिवृत्त में 200 एकड़ क्षेत्र में अतिक्रमण की शिकायत हुई पर विगत दो वर्षों से जांच लंबित है। बानाबेल परिवृत में 3 वर्ष पुराने 300 एकड़ से अधिक सागौन पौधरोपण को साफ कर खेत बना लिया गया है। खैरा रतनपुर मेन रोड से लगे जंगल को महज 6 माह पूर्व उजाड़ कर दो दर्जन से अधिक झोपड़ीनुमा पक्के मकान बना लिए गए हैं। इन अतिक्रमणों को आज तक नहीं हटाया गया है। छतौना के घने साल वृक्ष के क्षेत्र में अब इक्का-दुक्का ही साल वृक्ष दिखाई दे रहे हैं। खैरा से पूडू जाने वाले रोड किनारे के घने जंगल अब ठूंठ में परिवर्तित हो गए हैं। छतौना के कक्ष क्रमांक 2551 वन भूमि में अंधाधुंध अवैध कटाई कर जेसीबी मशीन द्वारा सफाई कर अतिक्रमण किया गया है। आदिवासी नेता उर्मिला सिंह मार्को द्वारा इस संबंध में शिकायत की गयी थी परंतु आज तक कार्यवाही शून्य है फर्जी पट्टा वितरण की सैकड़ो शिकायतें है। परंतु उन पर कार्यवाहियां शून्य है।
रतनपुर रेंज की दुर्दशा का मूल कारण यहां पिछले तीन-चार वर्षों से स्वच्छ छवि वाले रेंजर्स की पदस्थापना का ना होना है जिन अच्छे रेंजर्स की पदस्थापना हुई कमीशन खोरी के चक्कर में उन्हें हटा दिया गया और रतनपुर रेंज को प्रभारी के भरोसे सौंप दिया गया।
विभागीय कुप्रबंधन का रतनपुर परिक्षेत्र सबसे बड़ा उदाहरण है जहां डेढ़ साल में ही 5 रेंजर बदल दिए गए है ऐसे में रतनपुर क्षेत्र की बचीखुची हरियाली भी ज्यादा दिन तक नहीं रह पाएगी। जब तक विभाग जागेगी तब तक बहुत देर हो गया होगा।
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