अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। सावन मास की पवित्रता के बीच, भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के लगभग 3000 कांवड़ियों ने “मैत्री जल” कांवड़ यात्रा के तहत नानपारा तहसील के शिवपुर तकिया घाट (सरयू नदी) से पवित्र जल लेकर नेपालगंज के प्रसिद्ध बागेश्वरी मंदिर में भगवान शिव (जुंगे महादेव) पर जलाभिषेक किया। यह ऐतिहासिक यात्रा, जो 24 जुलाई 2025 को आयोजित हुई, भारत और नेपाल के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक मैत्री को मजबूत करने का एक प्रतीक बनी।
यात्रा का उद्देश्य और महत्व
इस वर्ष की कांवड़ यात्रा को “मैत्रीपूर्ण संबंध हेतु” समर्पित किया गया, जो भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को दर्शाता है। यह यात्रा न केवल भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग को बढ़ावा देने का भी एक अनूठा प्रयास है। नव युवक कांवड़िया संघ के तहसील अध्यक्ष कुंवर बद्रीनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में यह 25 वर्ष पुरानी परंपरा नई ऊर्जा और उत्साह के साथ संपन्न हुई।

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कुंवर बद्रीनाथ प्रताप सिंह ने कहा, “यह कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि भारत और नेपाल के बीच प्रेम, भाईचारे, और सांस्कृतिक एकता का संदेश देती है। सरयू नदी का पवित्र जल बागेश्वरी मंदिर में अर्पित कर हम दोनों देशों की साझा विरासत को सम्मान दे रहे हैं।”
यात्रा का विवरण
कांवड़ यात्रा की शुरुआत बुधवार, 24 जुलाई 2025 को नानपारा तहसील के शिवपुर तकिया घाट से हुई, जहां कांवड़ियों ने सरयू नदी से पवित्र जल भरा। इसके बाद, गुरुवार सुबह 6 बजे सीमा नाका खुलते ही कांवड़ियों का जत्था “बम बम भोले” और “हर हर महादेव” के जयकारों के साथ नेपालगंज के बागेश्वरी मंदिर की ओर प्रस्थान किया। यात्रा के दौरान कांवड़ियों ने सात्विक नियमों का पालन किया और नंगे पांव, कंधों पर कांवड़ लिए भक्ति भाव से यात्रा पूरी की।
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रूपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर पर कांवड़ियों का भव्य स्वागत किया गया। स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों रामचंदर जायसवाल और अनूप अग्रवाल ने भंडारे और विश्राम की व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे कांवड़ियों को यात्रा के दौरान सुविधा और प्रोत्साहन मिला। जलाभिषेक के बाद कांवड़िए अपने-अपने गांवों की ओर लौट गए।
आयोजन में सहयोग
इस ऐतिहासिक यात्रा का सफल आयोजन नव युवक कांवड़िया संघ के तहसील अध्यक्ष कुंवर बद्रीनाथ प्रताप सिंह के कुशल नेतृत्व में संभव हुआ। उनके साथ राजेश पटेल, रवि वर्मा, और जगतराम पटेल ने व्यवस्थाओं को संभालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनके प्रयासों से यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हुई और कांवड़ियों को किसी भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।

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प्रशासन की भूमिका
यात्रा के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण, भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कांवड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया और यात्रा मार्ग पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए। स्थानीय प्रशासन ने कांवड़ियों के लिए पेयजल, विश्राम स्थल, और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था भी की।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
“मैत्री जल” कांवड़ यात्रा ने न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत किया, बल्कि भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक बंधन को भी गहरा किया। बागेश्वरी मंदिर में जलाभिषेक का दृश्य भक्ति और एकता का अनुपम संगम रहा। इस यात्रा ने स्थानीय समुदायों में धार्मिक उत्साह और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया।
स्थानीय निवासी रामचंदर जायसवाल ने कहा, “यह यात्रा हर साल हमें एकजुट करती है। भारत और नेपाल के कांवड़ियों का एक साथ जलाभिषेक करना दोनों देशों की साझा संस्कृति और आस्था का प्रतीक है।”