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संवैधानिक मूल्यों को जीवन में उतारने वक्त है: निरंजन तिवारी

By News Desk Feb 7, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
पीयूष सिंह

प्रतापगढ़। लोकप्रिय जनहित सेवा संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत मौलिक अधिकारों, संवैधानिक मूल्यों और जेंडर पर नारी संघ लीडर का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस दौरान प्रशिक्षक निरंजन प्रकाश तिवारी निदेशक ने बताया कि यह वक्त मानवीय और संवैधानिक मूल्यों को अपने व्यवहार के केंद्र में लाने का है। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि इंसानियत का मूल्य सबसे अहम् है उन्होंने बताया कि कई लोगों और कई परिवारों से मिलकर एक समुदाय बनता है और लोगों और परिवारों के बीच आपसी व्यवहार किस तरह का होगा, यह भी तो “मूल्यों” से ही तय होगा है उन्होंने उपस्थित लोगों से पूंछा कि क्या हम मानवीय व्यवहार करेंगे या नहीं! हो सकता है कि कुछ परिवार विपन्न होंगे और उनके पास संसाधन नहीं होंगे. क्या ऐसे में वे अपने जीवन में गरिमामय व्यवहार और बुनियादी सेवाओं को हासिल करने या बुनियादी जरूरतों को पूर्ण करने से वंचित रहेंगे या फिर शासन और समाज मिलकर उनकी देखरेख करेंगे; यही है इंसानियत का मूल्य प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष, प्राकृतिक बनावट भर में भिन्न हैं, लेकिन उनके वजूद में, उनकी क्षमताओं में कोई अंतर नहीं हो सकता है उन्होंने कहा कि मूल्यों को स्थापित करने के लिए सफाई करने के काम का मूल्यांकन एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में करना और उस व्यक्ति को समानता का दर्ज़ा देना भी एक “मूल्य” ही है इसी कड़ी में लिंग आधारित हिंसा पर समझ विकसित करते हुए कहा कि ज़रा सोचिये कि हम ऐसे समाज को “सभ्य” भी कैसे मान सकते हैं, जहां किशोरियों और महिलाओं में माहवारी जैसी प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया को भी भेदभाव और छुआछूत का साधन बना लिया जाता है. इस समाज में “स्त्रियों और लड़कियों को सबसे बाद में और सबसे कम खाने” के लिए बाध्य किया जाता है और इससे पुरुषों या परिवार या धर्म की प्रतिष्ठा स्थापित होती है.

पितृसत्ता अपने आप में न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुता के मूल्य के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है उन्होंने कहा कि ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है जिसका वर्णन समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक और स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक और शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक और धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक और सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक और संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32 में वर्णित किया गया है प्रशिक्षण के दौरान नारी संघ की 30 लीडर और मौके पर अखिलेश , मीना , आशा , सरिता और अजय कुमार वर्मा मौजूद रहे।

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