अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 20 मई 2025 को ‘गोल्डन डोम’ नामक एक महत्वाकांक्षी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा की। इस परियोजना का लक्ष्य अमेरिका को बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक मिसाइलों, ड्रोनों और अंतरिक्ष-आधारित हमलों से बचाने के लिए एक अभेद्य सुरक्षा कवच तैयार करना है। यह सिस्टम इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित है, लेकिन इसका दायरा और क्षमता कहीं अधिक व्यापक है।
मुख्य विशेषताएं
- अंतरिक्ष-आधारित तकनीक: हजारों छोटे सैटेलाइट्स का नेटवर्क, जो मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करेगा।
- लागत: अनुमानित लागत 175 अरब डॉलर, शुरुआती बजट 25 अरब डॉलर।
- समयसीमा: 2029 तक चालू होने का दावा, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसे पूरा होने में दशकों लग सकते हैं।
- नेतृत्व: अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल ग्यूटलिन के नेतृत्व में, स्पेसएक्स, पलांटिर, और एंडुरिल जैसी कंपनियां शामिल।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: कनाडा ने परियोजना में रुचि दिखाई है।
आयरन डोम छोटी दूरी की अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम: इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित, लेकिन अधिक शक्तिशाली और ड्रोनों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि गोल्डन डोम लंबी दूरी की मिसाइलों, हाइपरसोनिक हथियारों, और अंतरिक्ष-आधारित खतरों से निपटेगा। यह अमेरिका जैसे विशाल देश की रक्षा के लिए बनाया गया है।अमेरिका का ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम: इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित, लेकिन अधिक शक्तिशाली
वैश्विक प्रभाव
- हथियारों की होड़: रूस और चीन अपनी मिसाइल तकनीकों को और उन्नत कर सकते हैं।
- चुनौतियां: उच्च लागत, तकनीकी जटिलता, और सैटेलाइट्स को निशाना बनाए जाने का जोखिम।
- विशेषज्ञों की राय: कुछ इसे आवश्यक मानते हैं, जबकि अन्य इसकी व्यवहार्यता पर सवाल उठाते हैं।
निष्कर्ष
गोल्डन डोम अमेरिका की रक्षा रणनीति में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है, लेकिन इसकी सफलता इसकी तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों पर निर्भर करेगी। यह परियोजना वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को बदल सकती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन अभी बाकी है।