अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। कैराना क्षेत्र में यमुना नदी के जलस्तर में गुरुवार को 30 सेंटीमीटर की और गिरावट दर्ज की गई, जिससे क्षेत्र में राहत की स्थिति बनी है। हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में कमी के कारण जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है। ड्रेनेज विभाग के अनुसार, गुरुवार सुबह 8 बजे बैराज से 14,105 क्यूसेक पानी यमुना में प्रवाहित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप शुक्रवार को जलस्तर में और कमी की संभावना है।
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जलस्तर में कमी का विवरण
बुधवार को यमुना का जलस्तर 229.450 मीटर था, जो गुरुवार को 30 सेंटीमीटर घटकर 229.150 मीटर पर आ गया। यह स्तर चेतावनी बिंदु (231 मीटर) और खतरे के निशान (231.5 मीटर) से काफी नीचे है, जिससे बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में कमी का यह प्रभाव क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत है। ड्रेनेज विभाग के अवर अभियंता आशु कुमार ने बताया, “गुरुवार सुबह 8 बजे हथिनीकुंड बैराज से 14,105 क्यूसेक पानी यमुना में डिस्चार्ज किया गया। जलस्तर अब 229.150 मीटर पर है, और शुक्रवार को इसमें और गिरावट की उम्मीद है।”
बैराज से पानी का प्रवाह
हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में पिछले कुछ दिनों में उल्लेखनीय कमी आई है। इस मानसून सीजन में पहले बैराज से 54,707 क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया था, जो इस वर्ष का उच्चतम स्तर था। हालांकि, गुरुवार को यह मात्रा घटकर 14,105 क्यूसेक रह गई, जिसके कारण कैराना और आसपास के तटवर्ती क्षेत्रों में जलस्तर स्थिर हो रहा है। अवर अभियंता आशु कुमार ने कहा, “पानी की मात्रा में कमी और जलस्तर का स्थिर होना क्षेत्र के लिए राहत की बात है। हम स्थिति पर निरंतर निगरानी रख रहे हैं।”
क्षेत्र पर प्रभाव
यमुना के जलस्तर में कमी से कैराना के खादर क्षेत्र में रहने वाले निवासियों और किसानों को राहत मिली है। गत सप्ताह भारी बारिश के कारण बैराज से अधिक पानी छोड़ा गया था, जिससे बाढ़ की आशंका बढ़ गई थी। लेकिन अब जलस्तर के 229.150 मीटर तक कम होने से फसलों और बस्तियों को नुकसान का खतरा कम हो गया है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की सतर्कता और समय पर जानकारी साझा करने की सराहना की।
प्रशासन की सतर्कता
ड्रेनेज विभाग और स्थानीय प्रशासन यमुना के जलस्तर पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। बाढ़ चौकियों को अलर्ट पर रखा गया है, और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। आशु कुमार ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग और हथिनीकुंड बैराज के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाए रखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “मानसून के दौरान जलस्तर में उतार-चढ़ाव सामान्य है, लेकिन वर्तमान स्थिति नियंत्रण में है। हम किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार हैं।”
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पर्यावरणीय और सामाजिक परिप्रेक्ष्य
यमुना के जलस्तर में कमी से जहां क्षेत्र में राहत मिली है, वहीं नदी की पर्यावरणीय स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है। यमुना एक्शन प्लान के तहत नदी की सफाई और संरक्षण के प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रदूषण और अवैध अतिक्रमण की समस्या अभी भी चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ नियंत्रण और नदी संरक्षण के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है, जैसे कि बैराज प्रबंधन में सुधार और नदी तटों की नियमित निगरानी।
भविष्य की संभावनाएं
कैराना में यमुना के जलस्तर में कमी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन मानसून सीजन के दौरान ऊपरी यमुना बेसिन में बारिश की स्थिति पर नजर रखना जरूरी है। केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है कि यदि बारिश की तीव्रता कम रही, तो जलस्तर में और कमी आएगी। यह स्थिति कैराना और आसपास के क्षेत्रों के लिए राहतकारी होगी, साथ ही दिल्ली जैसे निचले इलाकों में भी बाढ़ का खतरा कम रहेगा।
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कैराना में यमुना के घटते जलस्तर ने स्थानीय समुदाय को राहत प्रदान की है। हथिनीकुंड बैराज से कम पानी छोड़े जाने और प्रशासन की सक्रियता ने स्थिति को नियंत्रित रखा है। यह घटना दर्शाती है कि समय पर निगरानी और समन्वय से प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है। भविष्य में भी ऐसी सतर्कता और प्रभावी प्रबंधन से क्षेत्र में बाढ़ जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।