अतुल्य भारत चेतना
रईस
रुपईडीहा/बहराइच। भारत-नेपाल सीमा से सटे रुपईडीहा क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। लगातार बिजली कटौती, कम वोल्टेज, और ट्रिपिंग की समस्याओं ने न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को परेशान किया है, बल्कि छोटे-बड़े व्यापारियों को भी भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों और व्यापार मंडल ने बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है, लेकिन उपकरणों की कमी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण सुधार के प्रयास अधूरे रह गए हैं।
बिजली संकट की स्थिति
रुपईडीहा में बिजली आपूर्ति की अनियमितता ने क्षेत्रवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। बार-बार बिजली कटौती और कम वोल्टेज के कारण घरेलू उपभोक्ताओं को रात-दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से गर्मी के मौसम में बिजली की अनुपलब्धता ने बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इसके अलावा, ट्रिपिंग की समस्या ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अवर अभियंता स्तर पर कर्मचारी सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उपखंड अधिकारी की उदासीनता और मरम्मत कार्यों के लिए आवश्यक उपकरणों की कमी के कारण कोई ठोस परिणाम नहीं मिल पा रहा है।
व्यापारियों पर आर्थिक प्रभाव
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बिजली संकट के कारण व्यापारियों को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “लगातार बिजली कटौती और ट्रिपिंग के कारण दुकानों का संचालन प्रभावित हो रहा है। अनिश्चित बिजली आपूर्ति के चलते व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।” उन्होंने प्रशासन से मांग की कि क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाए।
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व्यापार मंडल के संरक्षक रतन अग्रवाल ने कहा, “केवल आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। जब तक फील्ड में पर्याप्त संसाधन और तकनीकी उपकरण उपलब्ध नहीं होंगे, बिजली व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है।” व्यापार मंडल के महामंत्री संजय कुमार, पूर्व अध्यक्ष विजय मित्तल, और कोषाध्यक्ष बलराम मिश्रा ने भी मरम्मत कार्यों के लिए उपकरणों की कमी को प्रमुख समस्या बताया। उन्होंने मांग की कि बिजली विभाग अतिशीघ्र उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करे ताकि मरम्मत कार्य समय पर पूरे हो सकें।
जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
भाजपा नेता भीमसेन मिश्रा ने बिजली संकट को लेकर प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “रुपईडीहा की जनता लंबे समय से बिजली संकट से जूझ रही है। मरम्मत कार्यों के लिए आवश्यक यंत्रों और सामग्रियों की भारी कमी बनी हुई है, जिसके कारण स्थायी समाधान संभव नहीं हो पा रहा।” उन्होंने बिजली विभाग से मांग की कि क्षेत्र में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
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स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने संयुक्त रूप से मांग की है कि उपखंड स्तर पर जवाबदेही तय की जाए और बिजली विभाग द्वारा स्थायी उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी जोर दिया कि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और भारत-नेपाल सीमा की संवेदनशीलता को देखते हुए बिजली व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए।
प्रशासनिक प्रयास और चुनौतियां
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अवर अभियंता और उनके कर्मचारी क्षेत्र में बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, उपखंड अधिकारी की उदासीनता और संसाधनों की कमी इन प्रयासों को प्रभावी होने से रोक रही है। मरम्मत कार्यों के लिए ट्रांसफार्मर, तार, और अन्य तकनीकी उपकरणों की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। इसके अलावा, बिजली आपूर्ति की तकनीकी समस्याओं, जैसे पुराने बिजली तारों और ट्रांसफार्मरों की खराब स्थिति, ने भी स्थिति को जटिल बनाया है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
रुपईडीहा में बिजली संकट का असर न केवल घरेलू उपभोक्ताओं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। यह क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है, जहां छोटे-बड़े व्यापारी अपनी आजीविका के लिए बिजली पर निर्भर हैं। बिजली की अनियमितता ने दुकानों, छोटे उद्योगों, और अन्य व्यवसायों को प्रभावित किया है, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बिजली कटौती के कारण बच्चों की पढ़ाई और दैनिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है। गर्मी के मौसम में बिजली की अनुपलब्धता ने स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ाया है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए।
समाधान की मांग और भविष्य की दिशा
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बिजली विभाग से मांग की है कि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति को सुचारु करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। इनमें शामिल हैं:
उपकरणों की उपलब्धता: मरम्मत कार्यों के लिए ट्रांसफार्मर, तार, और अन्य तकनीकी उपकरणों की तत्काल व्यवस्था।
उपखंड स्तर पर जवाबदेही: उपखंड अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार और उनकी जवाबदेही तय करना।
नए बुनियादी ढांचे की स्थापना: पुराने बिजली तारों और ट्रांसफार्मरों को बदलने के लिए दीर्घकालिक योजना।
सीमावर्ती क्षेत्र को प्राथमिकता: भारत-नेपाल सीमा की संवेदनशीलता को देखते हुए बिजली आपूर्ति को प्राथमिकता देना।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा, “हम बिजली विभाग से मांग करते हैं कि रुपईडीहा की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए। यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो व्यापार मंडल और क्षेत्रवासी बड़े स्तर पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”
रुपईडीहा में बिजली संकट ने स्थानीय समुदाय और व्यापारियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। प्रशासनिक स्तर पर प्रयासों के बावजूद, संसाधनों की कमी और तकनीकी कमियों ने सुधार की राह में बाधा डाली है। व्यापार मंडल और जनप्रतिनिधियों की मांग ने इस मुद्दे को और गंभीरता प्रदान की है। यह संकट न केवल बिजली आपूर्ति की समस्या को उजागर करता है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की मजबूती की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। प्रशासन और बिजली विभाग की त्वरित कार्रवाई से ही रुपईडीहा में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है, जो क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक है।