अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी
कैराना। समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन के साथ सहारनपुर के एडीएम (प्रशासन) द्वारा कथित दुर्व्यवहार के मामले ने कैराना के अधिवक्ताओं में आक्रोश पैदा कर दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक ज्ञापन राजस्व निरीक्षक कैराना को सौंपकर एडीएम के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है।
तहसील मुख्यालय पर ज्ञापन सौंपा
गुरुवार को कैराना के दर्जनों अधिवक्ता तहसील मुख्यालय पर एकत्र हुए और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन-पत्र राजस्व निरीक्षक अरविंद कुमार को सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि 1 जुलाई को कैराना लोकसभा क्षेत्र से सांसद इकरा हसन ने पूर्व सूचना देकर सहारनपुर के एडीएम (प्रशासन) से मिलने के लिए उनके कार्यालय का दौरा किया था। उनके साथ नगर पंचायत छुटमलपुर की निर्वाचित अध्यक्षा शमा परवीन भी थीं। मुलाकात का उद्देश्य जनसरोकार से संबंधित समस्याओं को एडीएम के समक्ष रखना था।
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कथित दुर्व्यवहार का विवरण
ज्ञापन के अनुसार, पूर्व सूचना के बावजूद एडीएम अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे और न ही उन्होंने सांसद का फोन कॉल रिसीव किया। कार्यालय में तैनात कर्मचारियों ने सांसद को यह कहकर टालने का प्रयास किया कि उनकी बात लिखित रूप में दे दी जाए। लगभग दो घंटे बाद एडीएम कार्यालय पहुंचे। सांसद ने उनकी अनुपस्थिति और फोन न उठाने पर नाराजगी जताई। इसके बाद, सांसद ने नगर पंचायत छुटमलपुर की अध्यक्षा शमा परवीन के सामने आ रही समस्याओं को उठाया।
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आरोप है कि एडीएम ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सांसद की मौजूदगी में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि को धमकाना और दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। जब सांसद ने इस व्यवहार पर आपत्ति जताई, तो एडीएम ने सांसद से कहा, “आप मेरे कार्यालय से बाहर जाइए और जहां मेरी शिकायत करनी है, कर दीजिए।”
संसदीय विशेषाधिकारों का हनन
ज्ञापन में कहा गया कि एडीएम का यह आचरण भारत सरकार के गृह मंत्रालय एवं कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। यह सांसद के संसदीय विशेषाधिकारों का भी हनन है। इस घटना से कैराना के अधिवक्ताओं और आमजन में व्यापक रोष व्याप्त है।
कार्यवाही की मांग
अधिवक्ताओं ने ज्ञापन में मांग की कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एडीएम के खिलाफ लोकतांत्रिक मर्यादा और प्रशासनिक जवाबदेही के संदर्भ में तत्काल कठोर कार्यवाही की जाए। उन्होंने राष्ट्रपति से शासन को इस संबंध में संस्तुति भेजने का अनुरोध किया।
आयोजन में शामिल लोग
इस अवसर पर अधिवक्ता राशिद अली, नसीम अहमद, मनीष कौशिक, सलीम अली, मोहम्मद मुस्तफा, अफजाल अहमद, अजय चौधरी, वीरेंद्र विश्वकर्मा, मोनू चौधरी, नायब सिद्दीकी, सरवेज जंग, सुशील कुमार, अरशद खान, नत्थू सिंह, अरुण, और किसान नेता आमिर अली सहित अन्य मौजूद रहे।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
यह घटना प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही और जनप्रतिनिधियों के प्रति उनके व्यवहार को उजागर करती है। अधिवक्ताओं ने इसे लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ माना है और इसे गंभीरता से लेने की मांग की है।
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अधिवक्ताओं ने आमजन और अन्य जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर एकजुट होने और प्रशासनिक अधिकारियों से उचित व्यवहार की अपेक्षा करने की अपील की है। उन्होंने शासन से मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।