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Kairana news; हापुड़ में लेखपाल की मौत के विरोध में कैराना में लेखपालों का धरना, एसडीएम को सौंपा चार सूत्रीय ज्ञापन

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अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी

कैराना/शामली। हापुड़ जिले में लेखपाल सुभाष मीणा की आकस्मिक मृत्यु के विरोध में कैराना के लेखपालों ने सोमवार, 14 जुलाई 2025 को तहसील मुख्यालय पर सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ (रजि.) की स्थानीय शाखा ने हापुड़ के जिलाधिकारी पर अपमानजनक और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक चार सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी (एसडीएम) कैराना निधि भारद्वाज को सौंपा। इस घटना ने प्रदेशभर के लेखपालों में आक्रोश पैदा किया है, और कैराना में इस धरने ने उनकी एकजुटता और मांगों को रेखांकित किया।

धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन

उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ की स्थानीय शाखा की अध्यक्षा पूजा खैवाल के नेतृत्व में लेखपाल सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक तहसील मुख्यालय पर एकत्र हुए। लेखपाल मिंटू की अध्यक्षता में आयोजित इस सांकेतिक धरने में लेखपालों ने हापुड़ में अपने साथी सुभाष मीणा की मृत्यु के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों पर रोष जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि हापुड़ के जिलाधिकारी के अपमानजनक और दमनात्मक व्यवहार के कारण सुभाष मीणा गहरे मानसिक तनाव में थे, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई।

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लेखपालों ने मुख्यमंत्री को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखीं:

आर्थिक सहायता: मृतक लेखपाल सुभाष मीणा के आश्रितों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

सरकारी नौकरी: मृतक के परिवार के एक योग्य सदस्य को उनकी योग्यता के आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्त किया जाए।

दोषियों पर कार्रवाई: सुभाष मीणा की मृत्यु के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की जाए।

मानवीय व्यवहार और नियमित बैठकें: अधिकारियों द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मानवीय व्यवहार अपनाया जाए और कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रत्येक माह संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठकें सुनिश्चित की जाएं।

हापुड़ की घटना और लेखपालों का आक्रोश

ज्ञापन में लेखपालों ने बताया कि हापुड़ में जिलाधिकारी के अपमानजनक व्यवहार और बिना जांच के की गई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के कारण लेखपाल सुभाष मीणा ने मानसिक तनाव में आकर अपनी जान गंवा दी। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों में सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में लोकप्रियता हासिल करने की होड़ के चलते अधीनस्थ कर्मचारियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इससे कर्मचारी तनावग्रस्त होकर नौकरी करने को मजबूर हैं, जिसका असर उनके स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, और शासकीय कार्यों की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।

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हापुड़ में हुई इस घटना ने पूरे प्रदेश के लेखपालों को झकझोर दिया है। लेखपालों का कहना है कि बिना उचित जांच के निलंबन और अन्य दंडात्मक कार्रवाइयाँ कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ती हैं। पूजा खैवाल ने कहा, “लेखपाल जनता के बीच सीधे काम करते हैं और कई बार जटिल परिस्थितियों का सामना करते हैं। अधिकारियों को चाहिए कि वे हमारी समस्याओं को समझें और निष्पक्ष जांच के बाद ही कोई कदम उठाएं।”

धरने में शामिल लेखपाल

धरने में पूजा खैवाल और मिंटू के साथ अनिता तोमर, शमशेर सिंह, छाया चौधरी, अनुराग पंवार, विजित पंवार, आफताब खां, लवकेश, शरद भारद्वाज, मुजक्किर खां सहित कई अन्य लेखपाल शामिल रहे। सभी ने एक स्वर में अपनी मांगों को दोहराया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

एसडीएम कैराना निधि भारद्वाज ने लेखपालों का ज्ञापन स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुँचाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, हापुड़ की घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ मंडल के आयुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

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सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

यह धरना न केवल हापुड़ में हुई घटना के विरोध में था, बल्कि यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और कर्मचारियों के प्रति मानवीय व्यवहार की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। लेखपालों का कहना है कि ऐसी घटनाएँ कर्मचारियों के बीच असुरक्षा और तनाव की भावना पैदा करती हैं, जिससे कार्यकुशलता प्रभावित होती है। कैराना में यह धरना लेखपालों की एकजुटता और उनके अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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प्रदेश के अन्य जिलों जैसे कासगंज, औरैया, फर्रुखाबाद, और बस्ती में भी लेखपालों ने इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिसमें उनकी मांगें समान हैं। यह आंदोलन न केवल सुभाष मीणा की मृत्यु के लिए न्याय की मांग करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि भविष्य में कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार हो और उनकी समस्याओं का समय पर समाधान हो। कैराना का यह धरना प्रशासन और कर्मचारियों के बीच बेहतर संवाद और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करता है, जो भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोकने में सहायक हो सकता है।

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