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रईस
बहराइच। नानपारा तहसील क्षेत्र के नील कोठी इलाके में लंबे समय से संचालित एक अवैध हॉस्पिटल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 11 जुलाई 2025 को छापेमारी की। एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. अनुराग के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई में अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह अव्यवस्थित पाई गईं और कोई वैध रजिस्ट्रेशन दस्तावेज उपलब्ध नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल संचालक को तीन दिन के भीतर वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, अन्यथा सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
छापेमारी और निरीक्षण के निष्कर्ष
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नानपारा देहाती के नील कोठी इलाके में संचालित वर्मा क्लिनिक पर शुक्रवार को छापेमारी की। निरीक्षण के दौरान निम्नलिखित खामियां पाई गईं:
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वैध रजिस्ट्रेशन का अभाव: अस्पताल का कोई वैध रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं था। क्लिनिक के बाहर कोई बोर्ड भी नहीं लगा था, जो नियमानुसार अनिवार्य है।
अव्यवस्थित संचालन: अस्पताल मानकों के विपरीत संचालित हो रहा था। मरीजों का इलाज चल रहा था, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव था।
अपर्याप्त सुविधाएं: अस्पताल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था नहीं थी। ऑक्सीजन सिलेंडर खुले बरामदे में असुरक्षित तरीके से रखे पाए गए, जो मेडिकल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है।
डॉक्टर की डिग्री पर सवाल: मौके पर मौजूद डॉ. सी.बी. वर्मा ने अपनी एमबीबीएस डिग्री व्हाट्सएप के माध्यम से दिखाई, जिसकी वैधता की जांच की जानी बाकी है।
स्वास्थ्य विभाग का अल्टीमेटम
एडिशनल सीएमओ डॉ. अनुराग ने अस्पताल संचालक को तीन दिन के भीतर वैध रजिस्ट्रेशन और डिग्री सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उन्होंने स्पष्टीकरण तलब करते हुए चेतावनी दी कि यदि निर्धारित समय में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए, तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी और अवैध रूप से संचालित अस्पताल को बंद कराया जाएगा।
अवैध संचालन का इतिहास
सूत्रों के अनुसार, वर्मा क्लिनिक के नाम से हाल ही में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया गया है, जबकि यह हॉस्पिटल वर्षों से बिना वैध अनुमति के संचालित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।
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सामुदायिक और स्वास्थ्य प्रभाव
नानपारा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित अस्पताल और क्लिनिक स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। बिना वैध रजिस्ट्रेशन और मानकों के अभाव में संचालित होने वाले ऐसे अस्पताल मरीजों की जान को जोखिम में डाल सकते हैं। अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं, असुरक्षित उपकरण, और गैर-प्रमाणित डॉक्टरों द्वारा इलाज से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई का महत्व
स्वास्थ्य विभाग की यह छापेमारी अवैध चिकित्सा सुविधाओं पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बहराइच जिले में पहले भी कई अवैध क्लिनिक और नर्सिंग होम पर कार्रवाई की जा चुकी है। यह कार्रवाई न केवल मेडिकल मानकों को लागू करने में सहायक होगी, बल्कि जनता में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास भी बढ़ाएगी।
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प्रशासन के लिए सुझाव
नियमित निरीक्षण: स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण अभियान चलाना चाहिए ताकि अवैध क्लिनिकों की पहचान और कार्रवाई की जा सके।
जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को वैध और प्रमाणित चिकित्सा सुविधाओं के उपयोग के लिए जागरूक किया जाए।
कठोर दंडात्मक कार्रवाई: अवैध अस्पताल संचालकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई और जुर्माना सुनिश्चित किया जाए।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रणाली: सभी निजी अस्पतालों और क्लिनिकों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और निगरानी की व्यवस्था लागू की जाए।
सार्वजनिक शिकायत तंत्र: अवैध चिकित्सा सुविधाओं की शिकायत के लिए टोल-फ्री नंबर और ऑनलाइन पोर्टल स्थापित किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई से नानपारा और बहराइच के अन्य क्षेत्रों में अवैध चिकित्सा सुविधाओं पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। यदि वर्मा क्लिनिक निर्धारित समय में वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता, तो इसका बंद होना निश्चित है। यह कार्रवाई अन्य अवैध अस्पताल संचालकों के लिए भी एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य मानकों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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नील कोठी इलाके में हुई इस छापेमारी ने स्थानीय समुदाय में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और वैधता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और सख्ती से यह सुनिश्चित होगा कि बहराइच के लोग सुरक्षित और प्रमाणित चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकें। यह कार्रवाई न केवल स्वास्थ्य प्रशासन की जवाबदेही को दर्शाती है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।