अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर/बिलासपुर। ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी रतनपुर, जो अपनी शांति और सहिष्णुता के लिए जानी जाती है, एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। 10 जुलाई 2025 को, श्रावण मास के प्रथम दिन, नगर पालिका रतनपुर ने रत्नेश्वर तालाब में मत्स्याखेट करवाया, जो ऐतिहासिक रत्नेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित है। इस कार्य पर स्थानीय लोगों और पार्षदों ने गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसमें भ्रष्टाचार, नियमों की अनदेखी, और धार्मिक भावनाओं की उपेक्षा के आरोप शामिल हैं।
तालाबों का ऐतिहासिक महत्व और राजस्व
रतनपुर में 150 से अधिक तालाब हैं, जो न केवल नगर की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि नगर पालिका के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत भी रहे हैं। पंचायतकाल में इन तालाबों में मछली पालन के ठेके से प्राप्त राजस्व से साफ-सफाई, बिजली, और अन्य मूलभूत सुविधाएं संचालित होती थीं। उस समय भ्रष्टाचार नगण्य था, और सेवा की भावना से कार्य होता था। लेकिन वर्तमान में, राजनीति के व्यवसायीकरण और स्वार्थपरता के कारण तालाबों से होने वाली आय में लाखों रुपये की हानि हो रही है।
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पिछले कुछ वर्षों में, नगर पालिका अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की आपसी सांठगांठ और लापरवाही के कारण ठेकेदारों ने तालाबों के ठेके की किश्तों का भुगतान नहीं किया। इससे नगर पालिका को भारी राजस्व हानि हुई है। करैहापारा क्षेत्र के बेद, रत्नेश्वर, और अन्य तालाबों सहित कई तालाबों को 10 वर्ष के लिए लीज पर दिया गया था। 25 जून 2025 को इन तालाबों की लीज अवधि समाप्त होने के बाद ये तालाब नगर पालिका के अधीन आ गए। फिर भी, नगर पालिका ने बिना उचित प्रक्रिया के मत्स्याखेट शुरू कर दिया, जो नियमों और धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन माना जा रहा है।

श्रावण मास में मत्स्याखेट: नियमों और धार्मिक भावनाओं की अनदेखी
श्रावण मास, जो भगवान शिव को समर्पित है, धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र माना जाता है। रत्नेश्वर तालाब, जहां ऐतिहासिक रत्नेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, का विशेष धार्मिक महत्व है। इसके बावजूद, नगर पालिका ने श्रावण मास के प्रथम दिन ही इस तालाब में मत्स्याखेट करवाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कार्य धार्मिक भावनाओं का अपमान है।
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इसके अतिरिक्त, मत्स्य पालन विभाग के नियमों के अनुसार, 15 जून से 15 जुलाई तक मछली पकड़ना प्रतिबंधित है, क्योंकि यह मछलियों के प्रजनन (बीडिंग) का समय होता है। इस अवधि में मत्स्याखेट करना गैरकानूनी माना जाता है। फिर भी, नगर पालिका ने न केवल इस नियम की अवहेलना की, बल्कि 15 दिन पहले भी रत्नेश्वर तालाब में तीन दिन तक मछली पकड़वाने का कार्य किया था।

पार्षद और स्थानीय लोगों का विरोध
वार्ड पार्षद हकीम मोहम्मद ने इस मामले पर अपनी अनभिज्ञता जताते हुए कहा, “मुझे आज के मत्स्याखेट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। 15 दिन पहले भी रत्नेश्वर तालाब में तीन दिन तक मछली पकड़ी गई थी, लेकिन उसकी बिक्री से प्राप्त राशि नगर पालिका में जमा नहीं हुई।” उन्होंने इस कार्य में पारदर्शिता की कमी और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया।
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स्थानीय लोगों ने भी नगर पालिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की। उनका कहना है कि तालाबों से प्राप्त राजस्व का उपयोग नगर की मूलभूत सुविधाओं जैसे साफ-सफाई, पेयजल, सड़क, और मार्ग प्रकाश के लिए होना चाहिए, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन सुविधाओं की स्थिति बदतर हुई है। शासन से करोड़ों रुपये प्राप्त होने के बावजूद रतनपुर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

नगर पालिका का दावा
मुख्य नगर पालिका अधिकारी खेल पटेल ने दावा किया कि रत्नेश्वर तालाब में मत्स्याखेट विभागीय स्तर पर किया गया है। उन्होंने कहा, “ठेकेदारों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सभी तालाबों में बारी-बारी से मत्स्याखेट करवाया जाएगा। इससे प्राप्त आय का उपयोग नगर के विकास कार्यों में किया जाएगा।” हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पहले किए गए मत्स्याखेट की राशि नगर पालिका में जमा क्यों नहीं हुई और श्रावण मास में मत्स्याखेट के लिए नियमों की अनदेखी क्यों की गई।
भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी
रतनपुर के तालाबों से मत्स्याखेट और ठेके के माध्यम से होने वाली आय नगर पालिका के लिए महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ठेकेदारों द्वारा किश्तों का भुगतान न करने और नगर पालिका द्वारा इसकी अनदेखी करने से लाखों रुपये की राजस्व हानि हुई है। स्थानीय लोग और पार्षद यह सवाल उठा रहे हैं कि मत्स्याखेट से प्राप्त राशि का उपयोग कहां हो रहा है और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं बरती जा रही।
सामुदायिक और धार्मिक प्रभाव
रत्नेश्वर तालाब में श्रावण मास के प्रथम दिन मत्स्याखेट करवाने से स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। रतनपुर, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, में इस तरह के कार्यों ने जनता में असंतोष पैदा किया है। लोग मांग कर रहे हैं कि नगर पालिका भविष्य में धार्मिक और पर्यावरणीय नियमों का पालन करे और तालाबों से होने वाली आय का उपयोग पारदर्शी तरीके से नगर के विकास के लिए किया जाए।

समाधान के लिए सुझाव
पारदर्शिता सुनिश्चित करना: मत्स्याखेट और ठेके की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सार्वजनिक नीलामी और ऑनलाइन रिकॉर्ड रखा जाए।
नियमों का पालन: मत्स्य पालन विभाग के नियमों का कड़ाई से पालन हो, विशेष रूप से मछली प्रजनन काल में मत्स्याखेट पर प्रतिबंध का।
राजस्व का उपयोग: तालाबों से प्राप्त आय का उपयोग साफ-सफाई, पेयजल, सड़क, और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए किया जाए।
जांच और जवाबदेही: पिछले मत्स्याखेट की आय के गबन और ठेकेदारों द्वारा किश्तों के गैर-भुगतान की स्वतंत्र जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई हो।
धार्मिक संवेदनशीलता: धार्मिक महत्व के तालाबों में मत्स्याखेट से पहले स्थानीय समुदाय और धार्मिक संगठनों से परामर्श किया जाए।
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रतनपुर नगर पालिका द्वारा रत्नेश्वर तालाब में श्रावण मास के प्रथम दिन किए गए मत्स्याखेट ने न केवल नियमों की अनदेखी को उजागर किया, बल्कि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के गंभीर आरोपों को भी सामने लाया। स्थानीय लोगों और पार्षदों ने इस कार्य की कड़ी निंदा की है और मांग की है कि नगर पालिका तालाबों से होने वाली आय का पारदर्शी उपयोग करे और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे। यह देखना बाकी है कि नगर पालिका इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या तालाबों से प्राप्त राजस्व का उपयोग रतनपुर के विकास और मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रभावी ढंग से किया जाएगा।