अतुल्य भारत चेतना
जग में गुरुदेव से निराला
कोई और नहीं है
भव पार लगाने वाला
कोई और नहीं है
यम के फंदे से छुड़ाता
जो कोई शरण उनके जाता
ईर्ष्या दूर भगाता वह
सबकी अज्ञान मिटाता
माया का वह बंधन तोड़े
बिगड़ी सबकी बनाए
हरि चरणों में नाता जोड़े
सबकी लाज बचाए
उपनिषद की कथा सुनाकर
सबके दिल की व्यथा मिटाए
आत्म ज्ञान कराकर
हृदय के अज्ञान हटाए।
प्रमोद कश्यप , रतनपुर, स्वरचित, मौलिक