अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
छत्तीसगढ़। इन दिनों स्कूली बच्चों के लिए समर कैंपों का आयोजन जोर-शोर से हो रहा है। इसी कड़ी में ग्राम रानी बछाली के शासकीय प्राथमिक शाला और उन्नत पूर्व माध्यमिक शाला में आयोजित समर कैंप के दूसरे दिन बच्चों को गांव के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया गया। यह आयोजन बच्चों में अपने गांव के प्रति जागरूकता और गर्व की भावना जगाने के उद्देश्य से किया गया।
बच्चों ने साझा किए अपने विचार
कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों को अपनी बात रखने का अवसर दिया गया। इस गतिविधि ने बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाया और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने का मौका मिला। शिक्षकों ने बच्चों की बातों को ध्यान से सुना और उनकी जिज्ञासाओं को प्रोत्साहित किया।
गांव का भ्रमण: एक जीवंत अनुभव
इसके बाद बच्चों को गांव के भ्रमण पर ले जाया गया। भ्रमण के दौरान उन्हें गांव की संरचना और सामाजिक-आर्थिक ढांचे से परिचित कराया गया। रास्ते में पड़ने वाले चौक, चौराहे, तिराहे, सीसी रोड, डामर रोड, कच्ची सड़कें और पगडंडियों के बारे में विस्तार से बताया गया। बच्चों को यह समझाया गया कि ये संरचनाएं गांव के दैनिक जीवन और यातायात में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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रास्ते में किराना दुकान, कपड़ा दुकान और मंदिर जैसे स्थानों को देखकर बच्चों को गांव के सामुदायिक और धार्मिक जीवन के बारे में जानकारी दी गई। शिक्षकों और ग्रामवासियों ने इन स्थानों के महत्व को सरल शब्दों में समझाया, जिससे बच्चे उत्साहपूर्वक सीखते रहे।

रानी सागर तालाब और रनिवास किला: ऐतिहासिक धरोहर का दर्शन
भ्रमण का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था रानी सागर तालाब और इसके समीप स्थित प्राचीन रनिवास किला। बच्चों को बताया गया कि तालाब का नाम “रानी सागर” इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ एक रानी नियमित रूप से स्नान करने आती थीं। तालाब के बीच में बने चबूतरे पर स्थित भगवान शिव के मंदिर में रानी स्नान के बाद पूजा-अर्चना करती थीं।
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रनिवास किला, जो अब खंडहर के रूप में है, अपनी ऐतिहासिक भव्यता की कहानी बयां करता है। ग्रामवासियों ने बच्चों को बताया कि इस किले में रानी निवास करती थीं। बच्चों ने खंडहर की दीवारों को छूकर और देखकर अतीत की इस धरोहर को करीब से महसूस किया, जिससे वे आश्चर्यचकित और उत्साहित हुए।
प्रकृति और जैव-विविधता: प्रवासी पक्षियों की कहानी
रानी सागर तालाब के पास एक विशाल बरगद और इमली का पेड़ है, जो गांव की एक अनूठी विशेषता को दर्शाता है। इन पेड़ों पर मई के महीने में बड़ी संख्या में विदेशी प्रवासी पक्षी आते हैं, जो यहाँ अंडे देते हैं और अपने बच्चों को पालने के बाद सितंबर-अक्टूबर में अपने मूल देश लौट जाते हैं। बच्चों को इस प्राकृतिक घटना के बारे में बताया गया, जिसने उनकी पर्यावरण और जैव-विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाई।

सामुदायिक सहभागिता और बच्चों का उत्साह
इस पूरे कार्यक्रम में प्रधान पाठक सुकदेव प्रसाद कश्यप, प्रधान पाठक लास्कर सर, शिक्षिका सोनी मैडम और ग्रामवासियों ने बच्चों को गांव की कहानियों और इतिहास से जोड़ा। उनकी सहभागिता ने इस अनुभव को और भी जीवंत बनाया। बच्चे पूरे समय उत्साहित और खुश नजर आए, और उन्होंने इस भ्रमण से न केवल अपने गांव के इतिहास को जाना, बल्कि उससे भावनात्मक रूप से भी जुड़ाव महसूस किया।
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रानी बछाली के इस समर कैंप ने बच्चों को न केवल शिक्षा दी, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। इस तरह के आयोजन बच्चों में सांस्कृतिक गर्व और ऐतिहासिक जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, जो उनके समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।