अतुल्य भारत चेतना
रईस
रुपईडीहा।उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रुपईडीहा में सांस्कृतिक जागरूकता और बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठी पहल शुरू होने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग, भारतखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ और लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ रुपईडीहा के संयुक्त तत्वावधान में सरस्वती विद्या मंदिर, रुपईडीहा में 1 जून से एक विशेष नृत्य-गायन कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यशाला स्थानीय बच्चों के साथ-साथ लैंड पोर्ट कर्मचारियों के बच्चों के लिए भी खुली होगी, जिससे क्षेत्र में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
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कार्यशाला का उद्देश्य और महत्व
लैंड पोर्ट अथॉरिटी के मैनेजर सुधीर शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कला और संस्कृति से जोड़कर उनके रचनात्मक और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, “यह पहल ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अपनी प्रतिभा को निखारने और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगी।” यह कार्यशाला न केवल बच्चों की कलात्मक क्षमताओं को उजागर करेगी, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव के नए आयाम भी प्रदान करेगी।
पंजीकरण की प्रक्रिया
नृत्य और गायन में रुचि रखने वाले इच्छुक बालक-बालिकाएं अपने नाम सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अनुज कुमार सिंह या लैंड पोर्ट अथॉरिटी के कार्यालय में पंजीकृत करा सकते हैं। पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और सुलभ रखा गया है ताकि अधिक से अधिक बच्चे इस अवसर का लाभ उठा सकें। यह कार्यशाला सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए खुली होगी, जो कला के क्षेत्र में अपनी रुचि को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
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प्रख्यात प्रशिक्षकों द्वारा मार्गदर्शन
कार्यशाला में प्रशिक्षण का दायित्व भारतखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ से मास्टर डिग्री प्राप्त प्रख्यात नृत्यांगना और गायिका मिल्की गुप्ता और प्रशिक्षिका इती तिवारी संभालेंगी। दोनों प्रशिक्षिकाएँ अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखती हैं और बच्चों को नृत्य और गायन की बारीकियों से परिचित कराएँगी। उनके मार्गदर्शन में बच्चे न केवल तकनीकी कौशल सीखेंगे, बल्कि भारतीय शास्त्रीय और लोक कला के सांस्कृतिक महत्व को भी समझेंगे।
सांस्कृतिक जागरूकता की दिशा में एक कदम
यह कार्यशाला ग्रामीण क्षेत्रों में सांस्कृतिक शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उत्तर प्रदेश सरकार का संस्कृति विभाग और भारतखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ इस तरह के आयोजनों के माध्यम से बच्चों और युवाओं को भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लैंड पोर्ट अथॉरिटी का सहयोग इस पहल को और भी व्यापक बनाता है, क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्र में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास है।
रुपईडीहा में आयोजित होने वाली यह नृत्य-गायन कार्यशाला बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने और सीखने का एक शानदार मंच प्रदान करेगी। यह आयोजन न केवल स्थानीय समुदाय को एकजुट करेगा, बल्कि बच्चों में सांस्कृतिक गर्व और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करेगा। इच्छुक बच्चों और अभिभावकों से अपील है कि वे इस अवसर का लाभ उठाएँ और पंजीकरण प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करें।