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वार्षिक प्रतिभा पुरस्कार के दौरान ग्रामीण बच्चों ने छोड़ी छाप

By News Desk Feb 21, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
अमित त्रिपाठी

बहराइच/श्रावस्ती। यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग, स्माइल फाउंडेशन और आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन (एबीसीएफ) ने श्रावस्ती जिले की वार्षिक प्रतिभा पुरस्कार एवं विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया। कलेक्ट्रेट परिसर स्थित तथागत सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जिले के 15 सरकारी स्कूलों के मेधावी बच्चों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि जिलाधिकारी श्रावस्ती कृतिका शर्मा ने कहा “वह स्माइल फाउंडेशन के काम और हमारे बच्चों, खासकर ग्रामीण सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने के हमारे मिशन में उनके योगदान की सराहना करती हैं।”
श्रीमती शर्मा ने मौजूद मॉडलों का निरीक्षण किया और प्रतिभागी छात्र – छात्राओं को प्रोत्साहित किया। प्रदर्शनी को नवाचार और कला, दो वर्गों में बांटा गया था। अधिकांश मॉडल और विचार स्थिरता, प्रकृति के संरक्षण, सुरक्षा और दैनिक जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग पर केंद्रित थे।
सुनीता वर्मा, खंड शिक्षा अधिकारी, गिरीश कुमार मिश्रा, शिक्षाविद् और डायट व्याख्याता, और राज्य संसाधन समूह के प्रतिनिधि संत कुमार अन्य उल्लेखनीय अतिथियों में शामिल थे, जिन्होंने इस अवसर उपस्थित रहकर छात्रों को प्रोत्साहित किया।
स्माइल फाउंडेशन उत्तर प्रदेश प्रशासन के सहयोग से और आदित्य बिड़ला कैपिटल फाउंडेशन (एबीसीएफ) के सहयोग से श्रावस्ती जिले के 15 ग्रामीण स्कूलों में दो साल से काम कर रही है। इस परियोजना से लगभग 1,600 बच्चों को सीधे लाभ मिल रहा है, जिसमें 49 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं।
इस परियोजना का मकसद स्मार्ट कक्षाएं स्थापित करना और चलाना, स्मार्ट टीवी और सौर पैनलों की स्थापना, मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कक्षाओं की स्थापना, पोषण संबंधी जागरूकता पैदा करना, शिक्षा प्रशासन में सहयोग करना शामिल है। स्माइल फाउंडेशन शिक्षकों, स्कूलों की प्रबंधन समिति, पीटीएम, माताओं- शिक्षकों के बीच समन्वय, सामुदायिक स्वयंसेवकों को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण और रसोई उद्यान को बढ़ावा देने का काम कर रही है ताकि बच्चों और परिवारों को पोषण में सुधार के लिए कम लागत वाले स्थानीय समाधान उपलब्ध हो सकें। स्माइल फाउंडेशन एक गैर सरकारी संस्था है जो भारत के 27 राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल के क्षेत्र में काम कर रही है, जिससे हर साल 15 लाख बच्चों और उनके परिवारों को लाभ मिलता है।

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