
अतुल्य भारत चेतना
वीरेंद्र यादव
पतिव्रता स्त्रियों के पति की अकालमृत्यु से रक्षाकर अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला वट सावित्री व्रत पूजन ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या 6 जून गुरूवार को किया जाएगा। इस दिन सुहागिन स्त्रियां वटवृक्ष की विधिवत पूजा करने के साथ सतयुग में हुए पुराणों में वर्णित सत्यवान व सावित्री की कथा सुनकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है।
महिलाओं को पूजन के बाद कच्चे सूत या कलावा से वट की 7 अगला परिक्रमा कर बांधना चाहिए। पूजन में रोली, कलावा, पान, लेख सुपारी, फल, कच्चा आम डंथल सहित, गेंहू, मिष्ठान, पकवान,, पंखा, गंगाजल आदि सामान की आवश्यकता होती है धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन वटवृक्ष का पूजन करने के साथ जल, पंखा आदि का दान भी करना चाहिए। अमावस्या तिथि 5 जून की रात्रि 7 बजकर 55 मिनट से 6 जून की शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।
वट सावित्री व्रत करने का शुभ मुहूर्त:-
6 जून गुरुवार को सूर्योदय के बाद से सायं 5:34 तक वट सावित्री व्रत की पूजा की जाएगी। धृति नाम का योग पूरे दिन प्राप्त हो रहा है। पूजा के लिए शुभ मुहुर्त गुरूवार को सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है। जबकि सूर्योदय के बाद से दिन में 1:30-3:00 बजे तक का समय छोडकर पूरे दिन पूजा की जा सकती है।
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