
जीवन के प्रश्नो से मानव
क्या घबराना ।
प्रश्न बना है यदि कोई तो
हल भी होगा ।
आज बुरा है तो
विषाद की बात नही यह ।
वक्त बदलता है बदलेगा,
निश्चित अच्छा कल भी होगा।
जीवन संघर्षो की है
नित नयी कहानी ।
चुनौतियो से हारी
वह बेकार जवानी।
हिम्मत वालो के रस्ते से
पर्वत भी हट जाते है।
इच्छाशक्ति का फल है मरूथल मे पानी।
लड़ते रहना भले
वार पर वार मिले।
लड़ते रहना चाहे
जितनी हार मिले।
सच्ची निष्ठा रही लक्ष्य मे।
हारा हुआ सफल भी होगा।
प्रश्न बना है यदि कोई तो निश्चित उसका हल भी होगा।
राह नही है सरल
सफलता तक जाने की।
किन्तु अगर सच्ची इच्छा है ।
इच्छित को पाने की ।
संघर्षो को हंस कर
गले लगाना होगा।
पथरीली राहों पर
चल कर जाना होगा।
तपती दोपहरी की
जलती राहें होंगी।
आग उगलती जलती
सभी दिशाए होगी।
धीरज रखना चलते जाना एक दिन सावन आयेगा ।
धरती भी शीतल होगी फिर
और पुनः बादल भी होगा ।
प्रश्न बना है यदि कोई तो निश्चित उसका हल भी होगा।
-महेश मिश्र (मानव)
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