
मै शिक्षा मित्र हूं (भाग-1)
मै शिक्षा मित्र हूं।
मन कर्म वाणी से
निश्चित पवित्र हूं।
कहने को शिक्षक हूं
वेतन से भिक्षुक हूं।
मृत्यु के द्वार पर
जीने का इच्छुक हूं।
सामन्ती सत्ता से
लड़ने का आदी हूं।
रेशम के दौर मे
मै शुद्ध खादी हूं।
यूपी की माटी पर
प्राणी विचित्र हूं।
मै शिक्षा मित्र हूं ।
भूखे पेट यूपी को
निपुण बनाता हूं।
कई महीनों तक
जाने क्या खाता हूं।
अमृत के काल मे
विष पी रहा हूं मै।
कोई नही पूछता
कैसे जी रहा हूं मै।
मुर्दा व्यवस्था की
जिन्दा गवाही हूं।
मरुथल की राहों का
प्यासा एक राही हूं।
उजड़ी लोकशाही का
एक भित्तिचित्र हूं।
मैं शिक्षा मित्र हूं।
(… क्रमशः)
-महेश मिश्र (मानव)
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