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सेवा की खातिर जो चुनाव होते…

By News Desk May 15, 2024
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सेवा की खातिर जो चुनाव होते!
तो खुशहाल सारे नगर गांव होते।।

तो फिर मुल्क मे भूखे नंगे ना होते।
तो शायद ये मजहब के दंगे ना होते।।

गरीबी कहीं खुदकुशी तब ना करती।
दुराचार से कोई बेटी ना मरती।।

तो शायद ये आपस की नफरत ना होती।
तो शायद ना मजहब के टकराव होते।।

सेवा की खातिर जो चुनाव होते।

तो बुधई का घर आज कच्चा ना होता ।
तो भट्ठे पे ननकू का बच्चा ना होता।।

तो फुलवा की बिटिया भी स्कूल जाती।
तो दाई की नातिन ना बकरी चराती।।

गरीबो अमीरो मे ना भेद होते।
तो सरकारी बर्तन मे ना छेद होते।।

तो पढ़ लिख के लड़के ना बेकार होते।
तो मन्त्री के ना इतने चटुकार होते।।

विधायक के लौड़े ना युवराज होते।
तो उत्कोच के बिन सभी काज होते।।

तो नेता मे जनहित के सद्‌भाव होते।
जो सेवा खातिर ही चुनाव होते!

-महेश मिश्र (मानव)

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