
…फर्क होता है
किलकारी और शोर में फर्क होता है।।
कमजोर और कामचोर में फर्क होता है।।
चांद का इंतजार दोनों करते हैं मगर,
रोजेदार और चकोर में फर्क होता है।।
सुख अथवा दुख, सुख और दुख,
अथवा और और में फर्क होता है।।
सुकून की बात कीजिये खून की नहीं,
आदमी और आदमखोर में फर्क होता है।।
आम लोगों के तौर-तरिके खास होते हैं,
खासतौर और आमतौर में फर्क होता है।।
गरीब और अमीर में ऐसे फर्क समझिए,
जमाकर्ता और जमाखोर में फर्क होता है।।
-सुधांशु त्रिपाठी “शनि”
आह़िस्ता-आह़िस्ता बढ़ रहीं चेहरे की लकीरें
शायद नादानी और तजुर्बे में बँटवारा हो रहा है
पहले हम आपके अपने थे, अब दूसरे हो गये।।
पहले चिकने हुआ करते थे, हम खुरदुरे हो गए।।
वो मीठा-मीठा झूठ बोलकर अच्छे हो गए,
हम कडवा-कडवा सच बोलकर बुरे हो गए।।
हमारी खामोशी को चाव से सुन रहे थे वो,
जरा सा सच बोल क्या दिया, बेसुरे हो गये।।
हम संस्कार पहन कर गंदे हो गए,
वो जिस्म दिखाकर साफ-सुधरे हो गए।।
पत्थर के वो, अश्कों की बारिश का क्या असर होगा,
मिट्टी के हम, दुखों की धूप से एकदम भुरभरे हो गए।।
-सुधांशु त्रिपाठी “शनि”
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