अतुल्य भारत चेतना
हाकम सिंह रघुवंशी
गंजबासौदा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवा केंद्र मैं मदर्स डे बड़ी धूमधाम से मनाया गया।

जिसमें ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने बताया कि व्यवहारिक रूप से तो हर दिन माताओं का दिन होता है। लेकिन उनके मातृत्व, उनके बलिदान, उनके प्यार और देखभाल का सम्मान करने के लिए हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

इस धरती पर एक माँ ही एकमात्र ऐसी शख्सियत है जो अपना पूरा जीवन बच्चों के लिए समर्पित कर देती है और बदले में कभी भी कुछ भी उम्मीद नहीं करती है। वह केवल देती है और वापस कुछ भी नहीं चाहती है। उसके बच्चे की हर मुस्कान उसकी मुस्कान बनाती है। एक मां के प्यार और देखभाल की तुलना इस दुनिया में किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है।

माँ के प्यार के बदले में कुछ भी नहीं दिया जा सकता है। लेकिन आज बहुत से बच्चे मां के प्यार और देखभाल को हल्के में लेते हैं। वे उचित सम्मान नहीं देते हैं यहां तक कि वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं। मां वह है जो समर्थन की आवश्यकता होने पर हमेशा पीछे खड़ी रहती है। इसलिए, यह बच्चे के साथ-साथ परिवार के सदस्यों का भी कर्तव्य है कि जब उसे जरूरत हो तो उसके साथ खड़े रहें।

बच्चे की सफलता और विकास के पीछे एक माँ का हाथ होता है जो उसके सपनों को हकीकत में लाने के लिए दिन-रात जागती रहती है। क्योंकि जिस दिन से बच्चा पैदा होता है, मां का काम शुरू हो जाता है। चलना, खाना, बोलना और लिखना सिखाने से लेकर वह हमेशा आपके साथ हैं। आज हम जो कुछ भी हैं, उसके लिए निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन करने के लिए हमें अपनी माताओं को धन्यवाद करना चाहिए। ब्रह्माकुमारी अनु दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मातृत्व दुनिया का सबसे बड़ा जुआ है. वहीं यह गौरवशाली जीवन शक्ति है। यह बहुत बड़ा और डरावना है लेकिन यह अनंत आशावाद का कार्य है।”

गिल्डा रेड़नर ने कहा। हर जीवन में मां की महिमा और महत्व को समझाने के लिए यह एक वाक्य काफी है। एक माँ परिवार का स्तंभ और रीढ़ होती है। सब कुछ त्याग कर और हमेशा खुश रहकर, वह साबित करती है कि सच्चा प्यार क्या होता है। वह बिना ब्रेक लिए और चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ लगातार काम करती हैं। चूँकि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने हमारे लिए माँ बनाई है। वह न केवल प्रेम का प्रतीक है बल्कि एक योद्धा भी है।

वह सभी को खुश रखने के लिए लगातार सभी बाधाओं से लड़ती है। वह जन्म लेने वाले सभी लोगों के लिए पहली शिक्षिका, मित्र, मार्गदर्शक, दार्शनिक और यहां तक कि मनोवैज्ञानिक भी हैं। मैं यह कहना चाहूंगा कि इस धरती पर मां ही एकमात्र निःस्वार्थ प्रेमी हैं तो इस मदर्स डे पर उनके लिए इस दिन को यादगार बनाकर हम यह प्रतिज्ञा करें हर मातृशक्ति को हम इज्जत सम्मान से देखेंगे, खुश रखने के लिए कार्य करेंगे।
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