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Kairana news; कैराना नपा प्रांगण में सभासदों का धरना, चेयरमैन शमशाद अहमद पर तानाशाही के गंभीर आरोप

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अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी

कैराना। नगरपालिका परिषद कैराना में शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को सियासी तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया, जब कुछ निर्वाचित सभासदों ने नगरपालिका प्रांगण में धरना शुरू कर दिया। धरनारत सभासदों ने पालिका चेयरमैन शमशाद अहमद पर तानाशाही, निरंकुशता, और जनता की अपेक्षाओं को पूरा न करने के गंभीर आरोप लगाए। इस घटना ने कैराना की नगरपालिका की राजनीति में एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है।

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धरने का कारण और सभासदों के आरोप

धरने में शामिल सभासद शाहिद हसन, फिरोज अहमद, तौसीफ चौधरी, और राशिद बागवान ने चेयरमैन शमशाद अहमद के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए निम्नलिखित आरोप लगाए:

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तानाशाही रवैया: सभासदों का कहना है कि चेयरमैन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए नगरपालिका के कार्यों में पारदर्शिता और सहभागिता को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।

विकास कार्यों में विफलता: केंद्र और राज्य सरकार से कैराना के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की गई है, लेकिन इस धन का उपयोग शहर के विकास में नहीं हुआ। सभासदों ने चेयरमैन पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

पक्षपातपूर्ण कार्रवाई: हाल ही में चेयरमैन ने सफाई लिपिक रविंद्र को निलंबित कर उनकी जगह अपनी बिरादरी के व्यक्ति को नियुक्त किया, जिसे सभासदों ने राजनीति से प्रेरित कदम बताया।

जनता की अपेक्षाओं पर खरे न उतरना: सभासदों ने कहा कि जनता ने विश्वास के साथ शमशाद अहमद को चेयरमैन चुना था, लेकिन वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं।

आर-पार की लड़ाई का ऐलान

धरनारत सभासदों ने चेयरमैन के खिलाफ इस बार आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। उनका कहना है कि वे इस तानाशाही रवैये को और बर्दाश्त नहीं करेंगे और जनता के हित में अपनी मांगें पूरी होने तक धरना जारी रखेंगे।

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पूर्व में भी विवाद

यह पहली बार नहीं है जब चेयरमैन शमशाद अहमद पर इस तरह के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई बोर्ड बैठकों के दौरान सभासदों ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। इन बैठकों में चेयरमैन के कार्यशैली और निर्णयों पर सवाल उठाए गए थे, जिससे नगरपालिका की राजनीति में तनाव बना हुआ है।

चेयरमैन का पक्ष

चेयरमैन शमशाद अहमद से उनका पक्ष जानने के लिए दो बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ मिला। इस कारण उनका पक्ष इस समाचार में शामिल नहीं किया जा सका।

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सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

यह धरना कैराना नगरपालिका की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है। सभासदों का कहना है कि उनका धरना जनता के हित में है और वे शहर के विकास के लिए आवंटित धन के सही उपयोग की मांग कर रहे हैं। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, और जनता के बीच भी चेयरमैन की कार्यशैली को लेकर असंतोष देखा जा रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

सभासदों के इस धरने से नगरपालिका के कार्यों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर असर पड़ सकता है। विशेष रूप से, आगामी कांवड़ यात्रा की तैयारियों के लिए नगरपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है, और इस तनाव का प्रभाव इन तैयारियों पर भी पड़ सकता है। सभासदों ने स्पष्ट किया कि उनका धरना तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।

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यह घटना कैराना की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है, जहां सभासद और चेयरमैन के बीच बढ़ता तनाव स्थानीय प्रशासन और जनता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।

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