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मेहरबान अली कैरानवी
कैराना। सहारनपुर परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) अभिषेक सिंह ने शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को कैराना पहुंचकर उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा पर स्थित यमुना ब्रिज तक कांवड़ मार्ग का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने आगामी कांवड़ यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया और स्थानीय अधिकारियों को रूट डायवर्जन, यातायात नियंत्रण, और दुर्घटना रोकथाम के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
निरीक्षण का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
डीआईजी अभिषेक सिंह ने बताया कि कांवड़ यात्रा, जो 11 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक आयोजित होगी, भगवान शिव के भक्तों द्वारा गंगा जल लाने और शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने की एक महत्वपूर्ण वार्षिक तीर्थयात्रा है। इस यात्रा के लिए व्यापक तैयारियां सुनिश्चित करने हेतु सहारनपुर परिक्षेत्र के कांवड़ मार्गों का निरीक्षण किया जा रहा है। 3 जुलाई 2025 को मुजफ्फरनगर के कांवड़ मार्ग का निरीक्षण किया गया था, और शुक्रवार को जनपद शामली में यूपी-हरियाणा सीमा पर यमुना ब्रिज तक के मार्ग की व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया।
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सुरक्षा और यातायात व्यवस्था पर जोर
निरीक्षण के दौरान डीआईजी ने कांवड़ियों की सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने निम्नलिखित प्रमुख निर्देश जारी किए:
पुलिस तैनाती: कांवड़ मार्ग पर 24 घंटे पुलिस कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। डीआईजी ने कहा कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
यातायात नियंत्रण: भारी वाहनों पर प्रतिबंध और रूट डायवर्जन की योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए गए। यमुना ब्रिज और आसपास के क्षेत्रों में यातायात को नियंत्रित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी, जिसमें बेरिकेडिंग और चेतावनी बोर्ड शामिल हैं।
दुर्घटना रोकथाम: सड़क सुरक्षा के लिए प्रकाश व्यवस्था, बेरिकेडिंग, और साइनेज को तत्काल दुरुस्त करने के आदेश दिए गए। डीआईजी ने जोर दिया कि यात्रा के दौरान किसी भी जनहानि को रोकना पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यमुना में स्नान की सुरक्षा
डीआईजी ने यमुना नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए। इनमें नदी के घाटों पर बेरिकेडिंग, लाइफगार्ड की तैनाती, और चेतावनी बोर्ड लगाना शामिल है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि घाटों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित किया जाए ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
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सामुदायिक सहयोग और सेवा शिविर
निरीक्षण के दौरान डीआईजी ने कांवड़ मार्ग पर लगने वाले सेवा शिविरों और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से संवाद स्थापित किया। उन्होंने इन संगठनों से स्वच्छता, पेयजल, और प्राथमिक चिकित्सा जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने का आह्वान किया। डीआईजी ने कहा कि सेवा शिविर कांवड़ यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रशासन की प्राथमिकता
डीआईजी अभिषेक सिंह ने जोर देकर कहा कि कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराना शासन और प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और उत्तराखंड की पुलिस टीमें समन्वय के साथ कार्य करेंगी। सहारनपुर परिक्षेत्र में पड़ने वाले सभी कांवड़ मार्गों पर सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को मजबूत करने के लिए व्यापक योजना तैयार की गई है।
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उपस्थित अधिकारी
निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) शामली रामसेवक गौतम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) संतोष कुमार सिंह, और कोतवाली प्रभारी निरीक्षक कैराना धर्मेंद्र सिंह मौजूद रहे। इन अधिकारियों को कांवड़ यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप देने और किसी भी कमी को तत्काल दूर करने के लिए निर्देशित किया गया।
सामाजिक और धार्मिक महत्व
कांवड़ यात्रा उत्तर भारत का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों कांवड़िए हरिद्वार, गौमुख, और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थानों से गंगा जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। सहारनपुर और शामली जैसे क्षेत्र इस यात्रा के प्रमुख मार्गों में शामिल हैं, जिसके कारण इन क्षेत्रों में सुरक्षा और यातायात व्यवस्था का विशेष महत्व है।
विवादास्पद दिशा-निर्देश
हाल के दिनों में कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों के लिए मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश को लेकर कुछ विवाद भी सामने आए हैं। हालांकि, डीआईजी ने निरीक्षण के दौरान इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि किसी भी तरह की भ्रांति या कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न न हो।
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डीआईजी अभिषेक सिंह का यह निरीक्षण कांवड़ यात्रा की तैयारियों को मजबूत करने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्थानीय पुलिस को सतर्कता बनाए रखने और किसी भी लापरवाही से बचने के लिए निर्देशित किया गया है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्रशासनिक समन्वय और सामुदायिक सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।