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आषाढ़ मास का धार्मिक महत्व

By News Desk Jun 22, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
वीरेंद्र यादव

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह का विशेष महत्व है और हर महीना किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है। 23 जून से आषाढ़ माह आरंभ होने जा रहा है और इसका समापन 21 जुलाई को होगा। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर आषाढ़ का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। आषाढ़ के महीने से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं। आषाढ़ माह में ही देवशयनी एकादशी पड़ती है। शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद से सभी प्रकार के मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस माह में श्री हरि का पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है। आइए जानते हैं इस माह में कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से नहीं।

कब से शुरू है आषाढ़ माह 2024:-

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जून दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी। इस तिथि का समापन 23 जून रविवार को प्रातः 05:12 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो आषाढ़ माह की शुरूआत 23 जून रविवार से होगी। 23 जून से शुरू हो रहे आषाढ़ माह के पहले दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं। उस दिन ब्रह्म योग सुबह से लेकर दोपहर 02:27 तक है। ब्रह्म योग में आषाढ़ माह की शुरूआत होगी। वहीं शाम के समय में दो शुभ योग त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि बनेंगे।

आषाढ़ माह में क्या करें:-

आषाढ़ मास में हर रोज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी पूजा करें और मंत्र व जप का ध्यान करें।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ रामदूताय नमः, ॐ क्रीं कृष्णाय नमः और ॐ रां रामाय नमः मंत्रों का जप करें।
हर रोज सूर्यदेव को अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
आषाढ़ मास में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी, भगवान शिव माता पार्वती, सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है।
आषाढ़ मास में में दान, यज्ञ, व्रत, देव पूजा, पितृ पूजा करने से भाग्य का साथ मिलता है और सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करें और धन, कपड़ा, छाता, जल, अनाज आदि का दान करना चाहिए।
आषाढ़ मास में तीर्थयात्रा करने का विशेष महत्व है ऐसा करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

आषाढ़ माह में क्या न करें:-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ माह में शादी, विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
इतना ही नहीं, इस माह में बासी खाना खाने की भी मनाही होती है।
ज्योतिष शास्त्र में आषाढ़ माह में जल का अपमान करना भी अशुभ बताया गया है, ऐसे में पानी को बर्बाद न करें।
शास्त्रों के अनुसार इस माह में तामसिक भोजन जैसे शराब , मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

आषाढ़ माह का महत्व:-

आषाढ़ मास कामनाओं की पूर्ति करने वाला महीना कहा जाता है.इस महीने में पौराणिक महत्व वाले मंदिरों की और प्राचीन तीर्थों की यात्रा करनी चाहिए. आषाढ़ माह की देवशयनी एकादसी ‌विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं श्रीहरि की उपासना से विचारों में शुद्धता आती है, जीवन सुखमय बनता है. वहीं आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा से संकटों से मुक्ति मिलती है।

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