अल्पविराम: मूल्यांकन,सुधार और सृजन की प्रक्रिया
अतुल्य भारत चेतना
मोहम्मद शरीफ कुरैशी
रतलाम। महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान रतलाम में एक दिवसीय अल्पविराम कार्यशाला का आयोजन किया गया। जीवन की आपाधापी में हम जीने का उद्देश्य ही भूल जाते है। जीवन की यात्रा में अल्प विराम इस यात्रा में रुककर इस आनंद को जानने, महसूस करने का एक माध्यम है।

आनंद विभाग की जिला समन्वयक सीमा अग्निहोत्री द्वारा जीवन का लेखा-जोखा सत्र का संचालन किया गया एवं तनाव से किस तरह से मुक्ति पाए इसके लिए मौन की शक्ति एवं अंतरात्मा की आवाज सुनने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया। मास्टर ट्रेनर गिरीश सारस्वत द्वारा राज्य आनंद संस्थान की गतिविधियों का परिचय दिया गया तथा मौजूदा परिस्थितियों में आनंद की अनुभूति को कुछ प्रश्नों के माध्यम से समझाया। मास्टर ट्रेनर पुष्पेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपने जीवन में अल्पविराम से आए बदलाव को विभिन्न घटनाओं के माध्यम से बताया । कार्यशाला में आनंदम सहयोगी सुरेंद्र अग्निहोत्री और मधु परिहार का सराहनीय योगदान रहा। इस कार्यशाला में समस्त स्टॉफ एवम विभिन्न ट्रेड के विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में रिंकी डोडवे ने बताया कि उन्होंने किस प्रकार से 4 बच्चों की मदद की,जिसे याद कर हमेशा आनंद की अनुभूति होती है। बच्चों ने बताया कि जिन दोस्तों ने हमारी मदद की वो आज भी दिल में हैं। प्राचार्य ए के श्रीवास्तव ने कहा कि युवा कई बार सुविधाओ में अपना आनंद ढूंढते हैं,जबकि वो हमारे अच्छे विचार,व्यवहार एवम कार्य में हमारे अंदर ही है।उन्होंने राज्य आनंद संस्थान का आभार व्यक्त करते हुए युवाओं को तनाव मुक्ति के लिए अल्पविराम को उपयोगी बताया।
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