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आओ एक-एक दीप जलाएं…

By News Desk May 17, 2024
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आओ एक-एक दीप जलाएं
घनघोर तमस में,
कई सहस्त्र दीपक जले उठे
दूर हुआ अंधियारा,
जग से,
निराश मन से,
आओ एक-एक दीप जलाएं।

हृदय स्पंदित हुआ,
नवीन आशाये ज्योत्रिमय हुई,
अलग घरो में रहकर भी,
लक्ष लक्ष मानव सब एक है
आओ एक-एक दीप जलाएं।

संकट गहरा कितना भी हो,
सहस्त्र आशाओं से,
इतनी दीपो से,
इतनी रोशनी से,
सहम सा गया
ये अंधकार भी टल जाएगा
आओ एक-एक दीप जलाएं।

कल ये इतिहास बनेगा,
हम मुस्कुरायेंगे,
पराजित कर
इस अदृश्य आततायी अंधियारे को
आओ एक-एक दीप जलाएं।

धरती का ऋण है हम पर,
नही हारेंगे,
न होंगे निराश,
नहीं होंगे परेशान
आओ एक-एक दीप जलाएं।

माँ भारती का स्मरण कर,
प्रजल्वित ज्वाला के साथ,
तमस को दूर भगाएं
आओ एक-एक दीप जलाएं।

फिर सब मिलकर
नव सवेरे, नवीन-रात्रि में
माता की स्तुति में
आशाओं के
नवदीप जलाएंगे
आओ एक-एक दीप जलाएं।

गहन अंधियारे को
दूर हटाएंगे
न होने दो मन को हाताश
आओ एक-एक दीप जलाएं।

-संजीव ठाकुर (सं-जीवनी)

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