अतुल्य भारत चेतना | आरती जायसवाल
आज के युग में, जहां जीवन की गति तेजी से बढ़ रही है और चुनौतियां हर कदम पर सामने आ रही हैं, मोटिवेशन यानी प्रेरणा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक अनिवार्य तत्व बन गया है। हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि हर परिस्थिति में प्रेरित रहना चाहिए, खासकर तब जब हालात प्रतिकूल हों। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह प्रेरणा लें किससे? क्या बाहरी स्रोतों से ली गई प्रेरणा हमें लंबे समय तक प्रेरित रख सकती है? इसका सही जवाब है – स्वयं से। जी हां, स्वयं से प्रेरणा लेना ही वह संजीवनी है जो हमें न केवल जीवित रखती है, बल्कि हमें निरंतर आगे बढ़ने की शक्ति भी प्रदान करती है।
प्रेरणा का स्रोत: बाहर या भीतर?
हम अक्सर प्रेरणा की तलाश में बाहरी स्रोतों की ओर भागते हैं। चाहे वह किसी सफल व्यक्ति की कहानी हो, प्रेरणादायक किताबें हों, या फिर कोई प्रेरक भाषण, ये सभी हमें तात्कालिक उत्साह तो दे सकते हैं, लेकिन यह प्रभाव अक्सर क्षणिक होता है। प्रेरणा की असली शक्ति हमारे भीतर ही निहित है। जब तक हम स्वयं किसी कार्य को करने के लिए दृढ़ संकल्पित नहीं होते, कोई बाहरी शक्ति हमें उस दिशा में आगे नहीं बढ़ा सकती।
उदाहरण के लिए, यदि आप किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, लेकिन आपके मन में उस कार्य के प्रति उत्साह या इच्छा नहीं है, तो कोई भी बाहरी प्रेरणा आपको लंबे समय तक प्रेरित नहीं रख सकती। दूसरी ओर, जब प्रेरणा आपके भीतर से उत्पन्न होती है, तो वह एक ऐसी ऊर्जा बन जाती है जो आपको कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला करने की शक्ति देती है।
स्वयं को प्रेरित करने की कला
स्वयं को प्रेरित करने का अर्थ है अपने भीतर की उस शक्ति को पहचानना जो आपको आपके लक्ष्यों की ओर ले जाती है। यह एक आंतरिक संवाद है, जिसमें आप अपने आप से सवाल करते हैं, अपने सपनों को याद करते हैं, और अपनी ताकत को पहचानते हैं। स्वयं को प्रेरित करने के लिए निम्नलिखित कदम महत्वपूर्ण हो सकते हैं:
- आत्म-जागरूकता: सबसे पहले, आपको स्वयं को समझना होगा। आपकी ताकत, कमजोरियां, और जुनून क्या हैं? अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करें और यह समझें कि आप उन्हें क्यों हासिल करना चाहते हैं।
- सकारात्मक सोच: नकारात्मक विचारों को अपने मन पर हावी न होने दें। इसके बजाय, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। हर छोटी उपलब्धि को सराहें और उससे प्रेरणा लें।
- स्वयं को रोल मॉडल बनाएं: दूसरों के जीवन से प्रेरणा लेना अच्छा है, लेकिन सबसे पहले आपको अपने लिए एक आदर्श बनना होगा। अपने कार्यों और निर्णयों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें कि आप स्वयं अपने लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाएं।
- निरंतर सीखना: किताबें, प्रेरक कहानियां, और सफल लोगों के अनुभव आपको नई दृष्टि दे सकते हैं। लेकिन इनका उपयोग केवल प्रेरणा के लिए नहीं, बल्कि अपने अंदर की प्रेरणा को जगाने के लिए करें।
स्वयं से प्रेरणा लेने का महत्व
जब हम स्वयं से प्रेरणा लेते हैं, तो हम बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं रहते। बाहरी प्रेरणा, जैसे किसी का भाषण या कोई प्रेरक वीडियो, कुछ समय के लिए हमें उत्साहित कर सकती है, लेकिन यह प्रभाव अस्थायी होता है। इसके विपरीत, आंतरिक प्रेरणा स्थायी होती है। यह वह शक्ति है जो हमें तब भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है जब कोई और हमें प्रोत्साहित करने वाला न हो।
उदाहरण के तौर पर, एक छात्र जो अपनी पढ़ाई में मेहनत करना चाहता है, उसे किसी शिक्षक या माता-पिता के प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन जब वह स्वयं यह तय करता है कि उसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम करना है, तो उसकी प्रेरणा बाहरी प्रोत्साहन से कहीं अधिक शक्तिशाली हो जाती है।
समाज के लिए प्रेरणा बनें
जब आप स्वयं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं, तो आप न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं। एक व्यक्ति जो अपनी आंतरिक शक्ति से प्रेरित होकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है, वह समाज के लिए एक आदर्श बन जाता है। लोग उसकी मेहनत, लगन, और सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित होते हैं।
इसलिए, सबसे पहले स्वयं के लिए एक रोल मॉडल बनें। अपने कार्यों से, अपने निर्णयों से, और अपनी सकारात्मक सोच से स्वयं को ऐसा बनाएं कि आपका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। जब आप स्वयं को प्रेरित करते हैं, तो आप न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
प्रेरणा वह शक्ति है जो हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने की हिम्मत देती है। लेकिन यह शक्ति बाहर से नहीं, बल्कि हमारे भीतर से आती है। स्वयं को प्रेरित करने की कला सीखना न केवल हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि हमें एक बेहतर इंसान भी बनाता है। इसलिए, आज से ही अपने भीतर की प्रेरणा को खोजें, उसे जगाएं, और अपने जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं। स्वयं से प्रेरणा लें, क्योंकि आपसे बेहतर आपको कोई और नहीं जान सकता।


उदाहरण के लिए जब तक आप किसी कार्य को स्वयं न करना चाहें कोई आपसे उसे कैसे करा सकता है? हम यह जरूर कर सकते हैं कि हम पुस्तकों से या फिर किसी अच्छे और सफल व्यक्ति से बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन करना आपको ही पड़ेगा और इसके लिए आपको आपके अंदर आंतरिक प्रेरणा होना बहुत जरूरी है, इसके लिए पहले आप खुद के लिए प्रेरणा बने खुद के लिए एक अच्छा उदाहरण बने फिर समाज के लिए।खुद के लिए खुद से बड़ा प्रेरणादायक कोई और हो ही नहीं सकता। दूसरों के शब्दों और सोच का प्रभाव कुछ सीमित समय के लिए होता है। यदि आप चाहते हैं कि आप सफल हो और दुनिया आपका उदाहरण दे तो इसके लिए पहले खुद के रोल मॉडल बनिए, फिर दुनिया के लिए तो आप अपने आप ही बन जाएंगे। इसलिए खुद के लिए सकरात्मक सोच बनाएं जो आपको हमेशा प्रेरणा देती रहे।
आज के समय की बात करें तो आगे बढ़ाने के लिए मोटिवेशन सबके जीवन में बहुत आवश्यक है। और हमेशा से यह सिखाया भी जा रहा है कि हमेशा मोटिवेट रहना चाहिए। खासकर तब, जब परिस्थिति विपरीत हो।परंतु सवाल यह है कि प्रेरणा लें किससे? इसका सही जवाब है “स्वयं से”। जी हां! स्वयं से, थोड़ा आश्चर्य आपको जरूर हुआ होगा पर आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। हम सलाह ले सकते हैं सही व्यक्ति से। परंतु प्रेरणा हम अक्सर बाहर के स्रोतों से ही लेते हैं जो कि कुछ समय के लिए ही हम पर प्रभाव डालती है। किंतु प्रेरणा तो आंतरिक है यह एक ऐसी संजीवनी है जो आपको जीवित करती है आपको जगाती है, पर हम सदैव उसे बाहर तलाशते हैं। प्रेरणा सदैव अंदर से आती है बाहर से नहीं।
(आप अपने विचार और सुझाव, हमें ई-मेल के जरिए साझा करें ताकि हम निरंतर आपके लिए ऐसे प्रेरणादाई लेख लेकर आ सकें। E-mail : info.abchindi@gmail.com)


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