अतुल्य भारत चेतना | आरती जायसवाल
आज के समय की बात करें तो आगे बढ़ाने के लिए मोटिवेशन सबके जीवन में बहुत आवश्यक है। और हमेशा से यह सिखाया भी जा रहा है कि हमेशा मोटिवेट रहना चाहिए। खासकर तब, जब परिस्थिति विपरीत हो।परंतु सवाल यह है कि प्रेरणा लें किससे? इसका सही जवाब है “स्वयं से”। जी हां! स्वयं से, थोड़ा आश्चर्य आपको जरूर हुआ होगा पर आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। हम सलाह ले सकते हैं सही व्यक्ति से। परंतु प्रेरणा हम अक्सर बाहर के स्रोतों से ही लेते हैं जो कि कुछ समय के लिए ही हम पर प्रभाव डालती है। किंतु प्रेरणा तो आंतरिक है यह एक ऐसी संजीवनी है जो आपको जीवित करती है आपको जगाती है, पर हम सदैव उसे बाहर तलाशते हैं। प्रेरणा सदैव अंदर से आती है बाहर से नहीं।


उदाहरण के लिए जब तक आप किसी कार्य को स्वयं न करना चाहें कोई आपसे उसे कैसे करा सकता है? हम यह जरूर कर सकते हैं कि हम पुस्तकों से या फिर किसी अच्छे और सफल व्यक्ति से बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन करना आपको ही पड़ेगा और इसके लिए आपको आपके अंदर आंतरिक प्रेरणा होना बहुत जरूरी है, इसके लिए पहले आप खुद के लिए प्रेरणा बने खुद के लिए एक अच्छा उदाहरण बने फिर समाज के लिए।खुद के लिए खुद से बड़ा प्रेरणादायक कोई और हो ही नहीं सकता। दूसरों के शब्दों और सोच का प्रभाव कुछ सीमित समय के लिए होता है। यदि आप चाहते हैं कि आप सफल हो और दुनिया आपका उदाहरण दे तो इसके लिए पहले खुद के रोल मॉडल बनिए, फिर दुनिया के लिए तो आप अपने आप ही बन जाएंगे। इसलिए खुद के लिए सकरात्मक सोच बनाएं जो आपको हमेशा प्रेरणा देती रहे।
(आप अपने विचार और सुझाव, हमें ई-मेल करें ताकि हम निरंतर आपके लिए ऐसे प्रेरणादाई लेख लेकर आ सकें। E-mail : info.abchindi@gmail.com)

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