
हीरे मोती लेकर कोई
यदि फ़िर से बचपन ला दे।
जीवन भर की पूंजी दे दूं
यदि वह गुज़रे क्षण ला दे।
जाना कितना विवस है मानव
कितना शक्ति हीन है।
वह धन जिससे सब कुछ मिलता
वह भी बड़ा दीन है।
धन दे कर यदि मिल जाए तो।
कोई मेरा योवन ला दे।
हीरे मोती लेकर कोई
यदि फिर से बचपन ला दे।
उन मिट्टी के बने घरोन्दों में,
गुड्डे की शादी हो।
सपनों की दुनिया में जीने की
पूरी आज़ादी हो।
डांट पिता जी की ला दे
और माता के चुंबन ला दे।
हीरे मोती लेकर कोई यदि
फिर से बचपन ला दे।
कागज के जल यानों का
वह छोटा सागर।
कुएँ किनारे के गड्ढे का
वह मैला पानी।
खेल कूद वह धमा चौकड़ी
निश्छल मन की वह शैतानी।
भीग सकूँ जिसकी वारिस में
कोई वह सावन ला दे।
हीरे मोती लेकर कोई
यदि फिर से बचपन ला दे।
जीवन भर की पूंजी दे दूं
यदि वह गुजरे क्षण ला दे।
किलके की वह कलम
और लकड़ी की पाटी।
पत्थर के सुंदर टुकड़े
कन्चो का खजाना।
मिट्टी का छोटा गुळख
सिक्कों की थाती।
हो जाऊँ धन वान बड़ा
यदि कोई मेरा वह धन ला दे।
हीरे मोती लेकर कोई
यदि फिर से बचपन ला दे।
जीवन भर की पूंजी दे दूं
यदि वह गुजरे क्षण ला दे।।
-महेश मिश्र (मानव)
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