Breaking
Sat. Jul 26th, 2025

कभी तो वक्त का सिक्का मेरे हक में भी उछलेगा

By News Desk Apr 29, 2024
Spread the love

मैं करती हूं हर बार बात संभालने की कोशिश,
और तुम बाल की खाल निकालने की कोशिश।

कभी तो वक्त का सिक्का मेरे हक में भी उछलेगा,
नाकाम है तुम्हारी हर बार मुझे यूं उछालने की कोशिश।

लाज़िम तो नहीं कि हर बार ही लडखड़ाऊंगीं,
लाख करो इल्जाम पर इल्ज़ाम डालने की कोशिश।

सोच क्या रही है ‘अपराजिता’, ये समंद्र ही तो है,
एक बार कर तो ज़रा इसे तू लांघने की कोशिश।

– अमिता सिंह “अपराजिता”

subscribe our YouTube channel

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Responsive Ad Your Ad Alt Text