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वनमंडल में बोगस भुगतान स्टापडेम निर्माण मे भ्रष्टाचार जांच के नाम पर लीपापोती

By News Desk Apr 2, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
शिवशंकर जायसवाल

कोरबा। छत्तीसगढ़ के पूरे प्रदेश में कोरबा जिला के कटघोरा वनमंडल एक बार फिर बोगस भुगतान की राह पर चल पड़ा है।चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च को हो गया और इससे पहले सेटलमेंट के जरिए पुराने बिलों का भुगतान के साथ-साथ आधे-अधूरे कार्यों का भी पूरा भुगतान प्राप्त करने से लेकर फर्जी मजदूरों के नाम की राशि निकालने के लिये विभाग में होड़ मची हुई है। विभाग के बड़े अधिकारी जो न सिर्फ कटघोरा वनमंडल बल्कि पड़ोसी जिले में पदस्थापना के दौरान किये गये भ्रष्ट कारनामों के कारण काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं,के इशारे पर फर्जी बिलों को लगाकर भुगतान का खेल खेला जा रहा है।

वनमंडल में जटगा वन परिक्षेत्र भ्रष्टाचार के मामले में काफी सुर्खियों में रहा है।यहां पुटुवा स्टापडेम, सोढ़ीनाला, टेढ़ीनाला पर स्टापडेम निर्माण से लेकर त्रिखुटी पहाड़ पर 6 स्टापडेम के निर्माण में गड़बडिय़ां और अधूरा कार्य से लेकर कार्य प्रारंभ हुए बगैर की भुगतान का मामला अखबारों की सुर्खियां बनता रहा है।जंगल के भीतर तालाबों के निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है।रेंजर प्रद्युम्न सिंह तंवर के द्वारा कुटेशरनगोई में तालाब खुदाई के लिये करतला ब्लॉक से मजदूरों को ले जाकर मजदूरी कराने और अपने ही परिवार तथा परिचितों के नाम से इन्हें मजदूर बताकर 12 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान कराने का मामला आज भी कार्रवाई के नाम पर ठंडे बस्ते में पड़ा है तथा रिकव्हरी शेष है।एक अन्य रेंजर पर भी करोड़ों की रिकवरी व एफआईआर लंबित है।आधे- अधूरे और बिना हुए कार्यों का फर्जी बिल लगाकर भुगतान कराने की कवायदों के बीच यह बात भी सामने आई है कि कार्य हुए बिना ही मजदूरों का भुगतान पहले ही कर दिया गया है।
सूत्रोंके अनुसार वर्ष-2017-18,वर्ष 2018-19और वर्ष 2019-20,इन तीन वर्षों के कार्यों का भुगतान में फर्जीवाड़े का बड़ा खेल विभाग के एक अधिकारी के संरक्षण में हो रहा है।पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में जहां पूरे प्रदेश में एकमात्र कटघोरा वनमंडल भ्रष्टाचार और कमिशनखोरी के मामले में सुर्खियां बटोरता रहा और सप्लायर तथा ठेकेदार को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ गई वहीं सत्ता बदलने के बाद भी कटघोरा वनमंडल में आने वाले संबंधित अधिकारी की कार्यशैली से न सिर्फ विभागीय कर्मी बल्कि ठेकेदार व सप्लायर परेशान हैं। कटघोरा वनमंडल के कार्य रवैये में कोई परिवर्तन नही आने के फलस्वरूप मौजूदा सरकार की छवि भी कहीं न कहीं धूमिल हो रही है।
वन मंडल कटघोरा के अधिकारी मलाई खा रहे हैं और ठेकेदार को धूल चटा रहे हैं।अपनी ही राशि निकलवाने के लिए सालों साल से चक्कर काट रहे हैं।

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