अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
सुलतानपुर। जिले के धनपतगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत पिपरी साई नाथ पुर ( भौषा) में श्री धाम अयोध्या से पधारे आचार्य श्री बसंत शुक्ला जी ने श्री समर जीत वर्मा के यहां हो रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन बताया कि मनुष्य भाग्य लेकर आता है और कर्म लेकर जाता है। जिसके हृदय में भगवान का वास है, जो हर क्षण प्रभु भक्ति में लीन रहता है, जगदीश्वर-श्रीहरि उसे पाप, पाखण्ड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं।

भगवान का उन्हीं लोगों के हृदय में वास होता है, जो सत्कर्म करते हैं। अनैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है, परन्तु इस अनैतिक कर्मों को आपको ही भोगना होगा। इसलिए कर्म करनें में सावधानी बरतें। संसार सागर से अपनी नैया को पार लगाने के लिए शुद्ध अन्तःकरण का निर्माण करें। व्यक्ति में अंतःकरण का निर्माण उसके नैतिक नियमों के आधार पर होता है। अंतःकरण व्यक्ति की आत्मा का वह क्रियात्मक सिद्धान्त माना जा सकता है, जिसकी सहायता से व्यक्ति द्वंद्वों की उपस्थिति में किसी निर्णय पर पहुँचता है। दु:खों को समाप्त करने का सामर्थ्य सिर्फ भगवान में है। यदि मनुष्य में होता तो वो कभी भगवान को याद ही नहीं करता।

और, आज भी अधिकतर जो लोग भगवान का स्मरण करते हैं, उनमें कहीं न कहीं मनोेकामना रूपी स्वार्थ छिपा रहता है। जो लोग निस्वार्थ श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान का स्मरण करते हैं, उन पर भगवत कृपा अवश्य होती है। जिस तरह से पक्षी को उड़ने को दो पंखों की आवश्यकता होती है, उसी तरह से भगवत कृपा पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास रूपी दो पंखों की आवश्यकता होती है। श्रद्धा और विश्वास के बिना भगवत कृपा नहीं मिल सकती है।
इस अवसर पर आचार्य श्री नारायण दत्त दूबे,प्रधान रमेश वर्मा, पूर्व प्रधान आलोक वर्मा, जैसराज तिवारी, आसुतोष , राजित राम, उदयभान, शिवपूजन प्रेम दूबे राम करन वर्मा सहित समस्त ग्राम वाशी उपस्थित रहे।
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