समापन समारोह में पहुंचे उप मुख्यमंत्री अरुण साव
अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर तथा धार्मिक नगरी रतनपुर में मांघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला का आयोजन हुआ। ऐतिहासिक नगरी रतनपुर के इस मेले का इतिहास प्राचीन है। सोलहवीं शताब्दी में राजा लक्ष्मण साय यहां के राजा हुए, उनकी अठ्ठाईस रानियां थीं। राजा लक्ष्मण साय के निधन के पश्चात सभी अठ्ठाईस रानियां सती हो गई। जिस स्थान पर वे सती हुई उस स्थान पर उनकी याद में मेला भरना प्रारंभ हुआ। यहां स्थित आठाबीसा तालाब एवं सती चौरा अठ्ठाईस रानियों की गौरव गाथा कहती हैं। 500 वर्षों से यहां मेला का आयोजन होते आ रहा है। इस पारंपरिक मेले के साथ ही लगभग 25-30 वर्षों से आदिवासी विकास मेला का भी आयोजन हो रहा है। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी लगाई जाती है।

यहां के सांस्कृतिक मंच में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। सात दिवसीय इस आदिवासी विकास मेला मंच में इस वर्ष लोक संगम, स्थानीय आर्केस्ट्रा एवं कवि सम्मेलन, लोक रंजनी, आरू साहू म्यूजिकल, हिलेन्द्र ठाकुर लोक कला मंच, सुनील तिवारी का रमझाझर एवं सातवें दिन छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध गायिका अल्का चंद्राकर के लोक कला मंच का सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया साथ ही स्थानीय स्कूली बच्चों का सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया। प्रतिदिन देर रात्रि तक लोगों ने कार्यक्रम का आनन्द लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य नगरपालिका अधिकारी, कर्मचारी , जनप्रतिनिधि गण एवं थाना स्टाप का विशेष सहयोग रहा। आदिवासी विकास मेला के मंचीय कार्यक्रम के अंतिम दिवस 1 मार्च को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव समापन समारोह में शामिल हुए।
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