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Kairana news; झिंझाना के दीपक वढेरा ने लखनऊ में उठाई घुमंतू समाज की आवाज, मुख्यमंत्री योगी ने नए बोर्ड के गठन की घोषणा

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अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी

झिंझाना। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक पहल करते हुए उनके लिए एक विशेष बोर्ड के गठन की घोषणा की है। यह घोषणा रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित भागीदारी भवन में आयोजित ‘विमुक्त जाति दिवस’ समारोह में की गई।

दीपक वढेरा ने रखा घुमंतू समाज का पक्ष

झिंझाना क्षेत्र के अहमदगढ़ निवासी दीपक वढेरा ने इस अवसर पर घुमंतू समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए मंच से अपनी बात रखी। उन्होंने समाज की समस्याओं और अपेक्षाओं को मुख्यमंत्री के सामने मजबूती से उठाया। उनकी आवाज को मंच से मुख्यमंत्री ने गंभीरता से सुना और उसी दौरान इस विशेष बोर्ड के गठन की घोषणा की। इस घोषणा से समुदाय में खुशी और नई उम्मीदों की लहर दौड़ गई।

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जमीन और मताधिकार का मिलेगा अधिकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अब विमुक्त और घुमंतू जातियों को जमीन के पट्टे और मतदान का अधिकार दिया जाएगा। उन्होंने समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को तत्काल इस बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए।

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योगी ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही वनटांगिया समुदाय को राजस्व गांव का दर्जा, मताधिकार और आवास, स्कूल व अस्पताल जैसी सुविधाएं दिला चुकी है। इसी तरह मुसहर, कोल, थारू, गौड़, चेरो, सहरिया, कुम्हार, निषाद और राजभर समाज को भी विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया गया है।

शामली और वनटांगिया की तर्ज पर होंगी योजनाएं

मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि शामली और वनटांगिया की तर्ज पर घुमंतू जातियों के लिए भी विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में हुई पुलिस भर्ती परीक्षाओं में इन समुदायों के कई युवक-युवतियां चयनित हुए हैं, जो सरकार की समावेशी नीति का प्रमाण है।

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वीरगाथाओं का किया स्मरण

योगी आदित्यनाथ ने विमुक्त और घुमंतू समाज के वीरगाथापूर्ण इतिहास को भी याद किया। उन्होंने कहा कि नट, बंजारा, बावरिया, सासी, कंजड़, कालबेलिया, सपेरा और जोगी जैसी जातियों ने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ साहसिक संघर्ष किया। इनके पराक्रम से भयभीत होकर अंग्रेजों ने 1871 में ‘क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ लागू कर इन्हें जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अथक प्रयासों से 31 अगस्त 1952 को इन जातियों को इस कलंक से मुक्ति मिली।

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समुदाय में खुशी की लहर

इस ऐतिहासिक घोषणा से झिंझाना क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश की घुमंतू जनजातियों में नए उत्साह और विश्वास का संचार हुआ है। समाज के लोगों का कहना है कि इस पहल से उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।

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