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Rupaidiha news; नगर पंचायत रूपईडीहा में आवारा कुत्तों का आतंक, आदर्श नगर वार्ड में दहशत का माहौल

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

रूपईडीहा/बहराइच। नगर पंचायत रूपईडीहा में आवारा कुत्तों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। बाजार से लेकर रिहायशी इलाकों तक, कुत्तों के झुंड बेखौफ घूम रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों और पशुपालकों में दहशत का माहौल है। विशेष रूप से आदर्श नगर वार्ड में स्थिति भयावह हो गई है, जहाँ इन कुत्तों ने 50 से अधिक बकरी-बकरों को अपना शिकार बनाया है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है ताकि इस समस्या से निजात मिल सके और क्षेत्र में शांति बहाल हो।

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आदर्श नगर में कुत्तों का कहर

आदर्श नगर वार्ड के निवासियों ने बताया कि आवारा कुत्तों के झुंड दिनदहाड़े छोटे जानवरों, विशेष रूप से बकरी-बकरों, पर हमला कर रहे हैं। स्थानीय निवासी सलीम, अतीक, समीर, इरफान अली, रिक्की, और मुर्तुजा ने दुखी मन से कहा, “हमारे बकरों को कुत्तों ने घेरकर मार डाला। इन हमलों से हमारा भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।” पशुपालकों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि उनकी आजीविका इन पशुओं पर निर्भर है। आदर्श नगर के अलावा, स्टेशन रोड, सब्जी मंडी, और बस स्टैंड जैसे इलाकों में भी कुत्तों की भारी उपस्थिति देखी जा रही है, जो स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन रही है।

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बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता

आवारा कुत्तों के आतंक ने न केवल पशुपालकों, बल्कि आमजन की दिनचर्या को भी प्रभावित किया है। खासकर बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिजन चिंतित हैं। कई अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते हैं, क्योंकि कुत्तों के झुंड बिना किसी भय के गलियों और बाजारों में घूमते हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “रात के समय तो स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। कुत्ते अचानक हमला कर देते हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है।”

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व्यापारियों और समुदाय की मांग

रूपईडीहा के व्यापारियों और निवासियों ने नगर पंचायत प्रशासन और जिला प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आवारा कुत्तों की धरपकड़ कर उन्हें नगर क्षेत्र से बाहर ले जाया जाए। स्थानीय व्यापारी मो. इरफान ने कहा, “बाजार में ग्राहकों और दुकानदारों को भी कुत्तों के हमले का डर सता रहा है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए।” निवासियों ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो किसी बड़ी अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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अन्य क्षेत्रों में समान समस्याएँ

आवारा कुत्तों की समस्या केवल रूपईडीहा तक सीमित नहीं है। हाल के समाचारों के अनुसार, छतरपुर (मध्य प्रदेश) में एक कुत्ते ने 50 से अधिक लोगों को काटा, जिससे वहाँ भी दहशत का माहौल है। इसी तरह, नालंदा (बिहार) में एक पागल कुत्ते ने 40 से अधिक पालतू पशुओं को घायल कर दिया। इन घटनाओं ने आवारा कुत्तों की समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर मुद्दा बना दिया है। छतरपुर में नगर पालिका ने कुत्तों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की है और एक मोबाइल नंबर जारी किया है, जिस पर लोग कुत्तों की जानकारी दे सकते हैं। रूपईडीहा में भी ऐसी ही पहल की मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं।

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प्रशासन की भूमिका और चुनौतियाँ

नगर पंचायत रूपईडीहा के अधिकारियों से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा। एक निवासी ने कहा, “हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन को चाहिए कि वह कुत्तों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाए और गौशालाओं या पशु आश्रयों में उनकी व्यवस्था करे।” छपरा में भी नगर निगम क्षेत्र में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता की शिकायतें सामने आई हैं।

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समाधान के लिए सुझाव

स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने इस समस्या के समाधान के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • आवारा कुत्तों की धरपकड़ और नसबंदी: कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाया जाए।
  • पशु आश्रय स्थापना: कुत्तों को रखने के लिए नगर पंचायत क्षेत्र में पशु आश्रय बनाए जाएँ।
  • जागरूकता अभियान: लोगों को आवारा कुत्तों से बचाव और उनकी शिकायत दर्ज करने के लिए जागरूक किया जाए।
  • विशेष टीम का गठन: छतरपुर की तर्ज पर एक समर्पित टीम बनाई जाए, जो कुत्तों की धरपकड़ और निगरानी करे।

सामुदायिक प्रभाव और भविष्य की आशंका

आवारा कुत्तों के आतंक ने रूपईडीहा के आदर्श नगर वार्ड और अन्य क्षेत्रों में सामुदायिक जीवन को प्रभावित किया है। बच्चे खेलने के लिए बाहर नहीं निकल पा रहे, और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि बाजार में ग्राहकों की संख्या भी इस डर के कारण कम हो रही है। यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मानवीय हानि या अन्य अप्रिय घटनाएँ हो सकती हैं।

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रूपईडीहा में आवारा कुत्तों की समस्या ने स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यह न केवल पशुपालकों और आमजन के लिए खतरा है, बल्कि यह नगर पंचायत की व्यवस्थाओं और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। स्थानीय समुदाय की मांग है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और तत्काल प्रभावी कदम उठाए ताकि रूपईडीहा के निवासियों को इस दहशत से मुक्ति मिल सके।

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