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मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। नगर पालिका परिषद (नपा) कैराना के चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी के खिलाफ सभासदों का धरना-प्रदर्शन 12 जुलाई 2025 को नौवें दिन भी अनवरत जारी रहा। इस दौरान भूख हड़ताल पर बैठे वार्ड संख्या-04 के सभासद राजपाल सिंह की अचानक तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें धरनास्थल पर ही चिकित्सकीय उपचार प्रदान किया गया। सभासदों के इस आंदोलन को सामाजिक और किसान संगठनों का समर्थन मिला है, जबकि प्रशासन ने धरना समाप्त करने का आग्रह किया है, लेकिन सभासद चेयरमैन को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े हैं।
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धरने का नौवां दिन: सभासदों के आरोप
4 जुलाई 2025 से शुरू हुआ सभासदों का धरना नपा प्रांगण में निरंतर जारी है। धरनारत सभासदों ने चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी पर तानाशाही, निरंकुशता, विकास कार्यों की अनदेखी, और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चेयरमैन द्वारा नगर के विकास कार्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है, ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है, और कर वृद्धि व प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। सभासद शाहिद हसन, उम्मेद राणा, राजपाल सिंह, फिरोज खान, और राशिद बागवान 9 जुलाई से भूख हड़ताल पर हैं। सभासदों की मांग है कि चेयरमैन स्वयं धरनास्थल पर आएं और उनकी समस्याओं का समाधान करें।
सभासदों की तबीयत बिगड़ने की घटनाएं
भूख हड़ताल के दौरान तीन सभासदों की तबीयत बिगड़ चुकी है:
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शाहिद हसन: 10 जुलाई की शाम को सभासद शाहिद हसन की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें शामली के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
उम्मेद राणा: 9 जुलाई की रात करीब 11 बजे सभासद उम्मेद राणा की तबीयत खराब होने पर उन्हें कैराना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया था। वहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन हालत में सुधार होने पर वे अगले दिन धरनास्थल पर वापस लौट आए।
राजपाल सिंह: 12 जुलाई को भूख हड़ताल पर बैठे वार्ड संख्या-04 के सभासद राजपाल सिंह की अचानक तबीयत बिगड़ गई। चिकित्सकों को धरनास्थल पर बुलाकर उनका उपचार किया गया, और उनकी हालत में सुधार बताया गया है।
सामाजिक और किसान संगठनों का समर्थन
11 जुलाई को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नगराध्यक्ष इनाम चौधरी उर्फ कालू के नेतृत्व में संगठन के पदाधिकारी धरनास्थल पर पहुंचे और सभासदों को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की। भाकियू ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि तीन दिन के भीतर सभासदों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़े आंदोलन की शुरुआत करेंगे। इसके अलावा, क्षेत्र के अन्य सामाजिक संगठनों ने भी सभासदों के धरने को समर्थन दिया है।
प्रशासन का प्रयास और सभासदों का अड़ियल रुख
10 जुलाई को एसडीएम कैराना निधि भारद्वाज और तहसीलदार अर्जुन चौहान धरनास्थल पर पहुंचे और सभासदों को धरना और भूख हड़ताल समाप्त करने के लिए मनाने का प्रयास किया। हालांकि, सभासद नपा चेयरमैन को धरनास्थल पर बुलाने की मांग पर अड़े रहे। धरने में सभासद मौलवी फुरकान, तौसीफ चौधरी, मोहम्मद जब्बार, राशिद उर्फ पोती, और अन्य कई लोग मौजूद रहे।
सामुदायिक और सामाजिक प्रभाव
नपा चेयरमैन के खिलाफ सभासदों का यह धरना कैराना में प्रशासनिक और सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है। भूख हड़ताल के दौरान तीन सभासदों की तबीयत बिगड़ने से स्थिति और गंभीर हो गई है। भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठनों के समर्थन ने इस आंदोलन को और बल प्रदान किया है, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। हाल ही में एक वायरल ऑडियो, जिसमें चेयरमैन और एक समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था, ने भी इस मामले को और जटिल बनाया। हालांकि, उस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
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यह धरना कैराना नगर पालिका में प्रशासनिक सुधारों और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यदि सभासदों की मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो भाकियू के आंदोलन की चेतावनी से स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वह चेयरमैन और सभासदों के बीच मध्यस्थता कर मामले का शांतिपूर्ण समाधान निकाले। साथ ही, सामुदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री की निगरानी और कार्रवाई को और सख्त किया जाए। कैराना के इस घटनाक्रम ने नगर पालिका प्रशासन में जवाबदेही और विकास कार्यों की प्राथमिकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह देखना बाकी है कि प्रशासन और नपा चेयरमैन इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और क्या सभासदों की मांगों का समाधान समय रहते हो पाता है।