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मेहरबान अली कैरानवी
कैराना/शामली। नगरपालिका परिषद कैराना में चल रहा सभासदों का धरना छठे दिन भूख हड़ताल में परिवर्तित हो गया। पालिका चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी पर तानाशाही, निरंकुशता, और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए सभासदों ने अपनी मांगों को पूरा करने तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। नायब तहसीलदार सतीश यादव ने धरनास्थल पर पहुंचकर सभासदों से वार्ता की, लेकिन उनकी मांगें न माने जाने के कारण बातचीत असफल रही।
धरने का छठा दिन: भूख हड़ताल की शुरुआत
विगत शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 से नगरपालिका प्रांगण में सभासदों का धरना शुरू हुआ था। बुधवार, 9 जुलाई 2025 को छठे दिन यह धरना भूख हड़ताल में बदल गया। सभासद शाहिद हसन, उम्मेद राणा, राजपाल सिंह, फिरोज खान, और राशिद बागवान ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। सभासदों का कहना है कि चेयरमैन द्वारा विकास कार्यों की अनदेखी, जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करना, और ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने जैसे गंभीर मुद्दों के खिलाफ यह कदम उठाया गया है।
नायब तहसीलदार की वार्ता असफल
दोपहर के समय नायब तहसीलदार सतीश यादव धरनास्थल पर पहुंचे और सभासदों की समस्याओं को समझने का प्रयास किया। उन्होंने सभासदों को धरना समाप्त करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन सभासदों ने चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी को धरनास्थल पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। सभासदों का कहना था कि जब तक चेयरमैन स्वयं उनकी समस्याओं पर चर्चा के लिए नहीं आते, वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। नायब तहसीलदार ने चेयरमैन से बात करने का आश्वासन देकर धरनास्थल छोड़ दिया, लेकिन वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
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सभासदों के आरोप
धरनारत सभासदों ने चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, चेयरमैन ने कैराना की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में पूरी तरह विफलता दिखाई है। विकास कार्यों में अनदेखी, भ्रष्टाचार, टैक्स वृद्धि, और ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने जैसे मुद्दों ने जनता और सभासदों को आक्रोशित किया है। सभासदों ने यह भी आरोप लगाया कि चेयरमैन की तानाशाही और हठधर्मिता के कारण नगरपालिका की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।
सामुदायिक समर्थन
धरने को स्थानीय समुदाय और विभिन्न संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। भाकियू नेता और ग्राम भूरा निवासी अब्बास प्रमुख ने धरनास्थल पर पहुंचकर सभासदों को अपना समर्थन दिया। इसके अलावा, कस्बे की महिलाओं और अन्य सामाजिक संगठनों, जैसे किसान यूनियन, रालोद, और बहुद्देश्यीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति लिमिटेड भूरा (बी-पैक्स), के पदाधिकारियों ने भी धरने को समर्थन दिया। कस्बे के विभिन्न वार्डों से सुमन, मोमीना, निशा, प्रमोद, तौसीफ, आसिफ, और पूर्व सभासद राशिद अली उर्फ पोती कुरैशी ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर सभासदों का हौसला बढ़ाया।
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धरने में शामिल सभासद और अन्य लोग
धरने में सभासद तौसीफ चौधरी, फुरकान अली, साजिद अली, राशिद बागवान, उम्मेद राणा, शाहिद हसन, राजपाल सिंह, फिरोज खान, सालिम चौधरी, बलवान सिंह, हारुण कुरैशी, और बासिद राणा सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे। सभासदों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
पहले भी हो चुके हैं विवाद
कैराना नगरपालिका में चेयरमैन और सभासदों के बीच यह पहला विवाद नहीं है। इससे पहले भी बोर्ड बैठकों के दौरान सभासदों ने चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। सभासदों का कहना है कि चेयरमैन की कार्यशैली ने नगरपालिका के विकास कार्यों को ठप कर दिया है, जिससे जनता की समस्याएं बढ़ रही हैं।
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प्रशासन और चेयरमैन की चुप्पी
सभासदों ने चेयरमैन शमशाद अहमद अंसारी से उनके पक्ष को जानने की कोशिश की, लेकिन उनका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ पाया गया। प्रशासन से भी इस मामले में तत्काल कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे सभासदों का आक्रोश और बढ़ गया है। सभासदों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप किया जाए और उनकी शिकायतों का समाधान हो।
सामुदायिक प्रभाव और भविष्य की दिशा
सभासदों की भूख हड़ताल ने कैराना में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगरपालिका की कार्यप्रणाली में सुधार और विकास कार्यों को गति देने की आवश्यकता है। धरने को मिल रहे व्यापक समर्थन से यह स्पष्ट है कि जनता भी सभासदों की मांगों के साथ है। यदि प्रशासन और चेयरमैन इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं करते, तो आंदोलन और उग्र हो सकता है। सभासदों ने चेतावनी दी है कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे।
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कैराना में यह भूख हड़ताल न केवल नगरपालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है, बल्कि जनता की समस्याओं को उजागर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और नगरपालिका चेयरमैन इस स्थिति को कैसे संभालते हैं और सभासदों की मांगों का समाधान कब तक होता है।