अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
पीपलखेड़ा/विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के पीपलखेड़ा क्षेत्र में सतपाड़ा सब स्टेशन, शमशाबाद विद्युत मंडल की मनमानी के खिलाफ किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है। पिछले चार महीनों से दिन में मिल रही बिजली आपूर्ति को अचानक रात के समय में बदल दिया गया है, जिससे किसानों को खेती-बाड़ी, विशेषकर धान की रोपाई में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बदलाव के साथ-साथ लगातार बिजली कटौती और अपर्याप्त मेंटेनेंस ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
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समय परिवर्तन से किसानों की परेशानी
स्थानीय किसान धर्मेंद्र गुप्ता ने बताया कि सतपाड़ा सब स्टेशन के जूनियर इंजीनियर (जेई) के आदेश पर बिजली आपूर्ति के समय में अचानक बदलाव किया गया है। पहले सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक बिजली उपलब्ध थी, जो किसानों के लिए खेती के कार्यों, जैसे धान की रोपाई और गड़ाई, के लिए उपयुक्त थी। लेकिन अब एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सूचना दी गई है कि बिजली आपूर्ति रात के समय की जाएगी। इस बदलाव से किसानों को रात में खेतों में काम करने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि रात में गड़ाई और अन्य कृषि कार्य करना असुविधाजनक और असुरक्षित है।
बिजली कटौती और मेंटेनेंस की कमी
किसानों का कहना है कि सतपाड़ा सब स्टेशन की बिजली आपूर्ति पहले ही अनियमित थी। दिन में 6 से 8 घंटे की बिजली मिल रही थी, जो सरकार द्वारा वादा किए गए 10 घंटे की आपूर्ति से कम है। इसके अलावा, मेंटेनेंस कार्य भी पूरी तरह से नहीं किया गया है, जिसके कारण लाइन में बार-बार फॉल्ट और बिजली कटौती की समस्या बनी रहती है। किसानों ने बताया कि विद्युत मंडल द्वारा ओवरलोड का बहाना बनाया जा रहा है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया जा रहा।
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ट्रांसफॉर्मर स्थापना में देरी
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि सतपाड़ा सब स्टेशन पर ओवरलोड की समस्या को हल करने के लिए एक बड़ा ट्रांसफॉर्मर पिछले पांच महीनों से स्वीकृत है, लेकिन इसे अभी तक स्थापित नहीं किया गया है। इस देरी के कारण क्षेत्र के गांवों, जैसे ब्यौची, पीपलखेड़ा, सुल्तानिया, सकल खेड़ा, और पुरेनिया में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि यदि ट्रांसफॉर्मर समय पर लगाया जाता, तो ओवरलोड की समस्या का समाधान हो सकता था और बिजली आपूर्ति सुचारु रूप से हो सकती थी।
किसानों की मांग
किसानों ने प्रशासन और विद्युत मंडल से मांग की है कि बिजली आपूर्ति को पुनः दिन के समय (सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक) में बहाल किया जाए, ताकि खेती के कार्य सुचारु रूप से हो सकें। इसके साथ ही, वे ट्रांसफॉर्मर की तत्काल स्थापना और नियमित मेंटेनेंस की मांग कर रहे हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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सामुदायिक प्रतिक्रिया
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि धान की रोपाई का समय चल रहा है, और बिजली आपूर्ति का यह बदलाव उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। एक स्थानीय किसान ने कहा, “विद्युत मंडल की मनमानी के कारण हमारी मेहनत पर पानी फिर रहा है। रात में बिजली देने से खेतों में काम करना मुश्किल हो गया है।” अन्य किसानों ने भी विद्युत मंडल के अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाए और तत्काल समाधान की मांग की।
प्रशासनिक जवाब की प्रतीक्षा
हालांकि, सतपाड़ा सब स्टेशन के अधिकारियों ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। किसानों का आरोप है कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। इससे पहले भी मध्य प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बिजली कटौती और कम वोल्टेज की समस्याओं को लेकर किसानों ने प्रदर्शन किए हैं, जैसा कि विदिशा जिले के सिरोंज-बासोदा रोड पर हुए प्रदर्शन में देखा गया था, जहां किसानों ने बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर सड़क जाम कर दी थी।
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सतपाड़ा सब स्टेशन की मनमानी और बिजली आपूर्ति में बदलाव ने पीपलखेड़ा और आसपास के गांवों के किसानों को मुश्किल में डाल दिया है। ट्रांसफॉर्मर स्थापना में देरी और अपर्याप्त मेंटेनेंस ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। किसानों की मांग है कि प्रशासन और विद्युत मंडल उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान करें, ताकि खेती के कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो सकें। अब देखना यह है कि विद्युत मंडल इस मुद्दे पर कितनी जल्दी कार्रवाई करता है और किसानों को राहत प्रदान करता है।