अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में सहायक जनसंपर्क अधिकारियों के लिए आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का गुरुवार को सफल समापन हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ.) विजय मनोहर तिवारी ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “अतः अस्ति आरंभ” अर्थात हर अंत एक नई शुरुआत की ओर अग्रसर करता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं दीं और उन्हें प्रेरित करते हुए प्रसिद्ध लेखक जिम कॉर्बेट की पुस्तक ‘मेरा हिंदुस्तान’ पढ़ने की सलाह दी।

कार्यशाला का उद्देश्य और प्रभाव
इस कार्यशाला का उद्देश्य सहायक जनसंपर्क अधिकारियों को संचार, जनसंपर्क, और प्रभावी सूचना प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और कौशलों से परिचित कराना था। प्रशिक्षण में विभिन्न क्षेत्रों से आमंत्रित विशेषज्ञों और अनुभवी जनसंपर्क अधिकारियों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए। सत्रों में लेखन शैली, डिजिटल संचार, सामुदायिक जुड़ाव, और सूचना प्रबंधन जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई, जिसने प्रतिभागियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन अधिक प्रभावी ढंग से करने के लिए प्रेरित किया।
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मुख्य अतिथियों के विचार
जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक जी.एस. वाधवा ने अपने संबोधन में लेखन शक्ति और नेटवर्किंग के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा, “आपका नेटवर्क जितना व्यापक होगा, आपका कार्यक्षेत्र उतना ही प्रभावी और सशक्त होगा।” उन्होंने जिला स्तर पर सूचना का अग्रिम केंद्र बनने और स्थानीय समुदाय से सीधा जुड़ाव बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। वाधवा ने यह भी सुझाव दिया कि जनसंपर्क अधिकारी अपनी लेखन शैली को और प्रभावी बनाएं ताकि सूचनाएं जनता तक स्पष्ट और आकर्षक रूप में पहुंच सकें।
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वरिष्ठ पत्रकार अजीत ने अपने अनुभव साझा करते हुए पत्रकारिता के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने डाक युग से लेकर ईमेल और डिजिटल संचार तक की यात्रा का उल्लेख किया और कहा, “पत्रकारिता के विविध आयामों और माध्यमों के साथ कदम मिलाकर चलना आज की आवश्यकता है। जनसंपर्क अधिकारी को अपने भीतर के पत्रकार को हमेशा जागृत रखना चाहिए।” उन्होंने रचनात्मक और आकर्षक लेखन शैली, सरल भाषा, और मानक शब्दावली के उपयोग पर जोर दिया।

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वरिष्ठ पत्रकार अनिल तिवारी ने जनसंपर्क अधिकारियों को पत्रकारों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने और शासन की गतिविधियों पर सूक्ष्म नजर रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “जनसंपर्क अधिकारियों का दायित्व है कि वे जनता तक सटीक और पूर्ण जानकारी पहुंचाएं। इसके लिए अधिकारियों के साथ सतत संवाद और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए मजबूत नेटवर्क बनाना आवश्यक है।”
समापन सत्र और आभार
समापन सत्र में कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी ने सभी प्रतिभागियों और विशिष्ट अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह प्रशिक्षण न केवल एक ज्ञानवर्धक मंच साबित हुआ, बल्कि इसने जनसंपर्क अधिकारियों में नेतृत्व, संवाद, और प्रभावी संप्रेषण की नई ऊर्जा का संचार किया।” उन्होंने इस कार्यशाला को जनसंपर्क अधिकारियों के लिए एक प्रेरणादायी अवसर बताया, जो उन्हें अपने कर्तव्यों को अधिक प्रभावी ढंग से निभाने में मदद करेगा।
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प्रशिक्षण का प्रभाव
पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में सहायक जनसंपर्क अधिकारियों को संचार के आधुनिक तरीके, सोशल मीडिया प्रबंधन, संकटकालीन संचार, और सामुदायिक जुड़ाव जैसे विषयों पर व्यावहारिक समझ प्रदान की गई। विशेषज्ञों ने मीडिया प्रबंधन, सूचना प्रसारण, और सार्वजनिक छवि निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा किए। प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को न केवल तकनीकी कौशल प्रदान किया, बल्कि उन्हें अपने दायित्वों के प्रति अधिक जिम्मेदार और प्रेरित बनाया।

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सामाजिक और प्रशासनिक महत्व
यह कार्यशाला जनसंपर्क अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई, जिसने उन्हें शासन और जनता के बीच सेतु के रूप में अपनी भूमिका को और प्रभावी ढंग से निभाने के लिए तैयार किया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने इस प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल जनसंपर्क अधिकारियों के कौशल को निखारा, बल्कि पारदर्शी और प्रभावी संचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया।
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इस कार्यशाला का समापन नई शुरुआत का प्रतीक बना, जैसा कि कुलगुरु प्रो. तिवारी ने अपने संबोधन में कहा। यह प्रशिक्षण न केवल जनसंपर्क अधिकारियों के लिए एक सीखने का अवसर था, बल्कि यह उनके लिए अपने कार्यक्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को और बेहतर ढंग से निभाने की प्रेरणा भी बना।