अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की मथुरा रिफाइनरी में हाल ही में एक गंभीर हादसा सामने आया है, जिसमें प्रोसेसिंग सब-स्टेशन के इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड में आग लगने से कर्मचारी प्रेम प्रकाश शर्मा बुरी तरह झुलस गए। इस घटना ने रिफाइनरी के सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, रिफाइनरी प्रबंधन ने इस घटना को दबाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन यह मामला अब सार्वजनिक हो गया है।
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हादसे का विवरण
पिछले सप्ताह मथुरा रिफाइनरी के प्रोसेसिंग सब-स्टेशन पर इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड पर कार्य के दौरान अचानक आग भड़क गई। इस दौरान वहां काम कर रहे कर्मचारी प्रेम प्रकाश शर्मा, जो इलेक्ट्रिकल कार्यों में दक्ष हैं, आग की चपेट में आ गए। सूत्रों के मुताबिक, प्रेम प्रकाश शर्मा उस समय बिना आईएफआर (इग्निशन फ्री रिटार्डेंट) सूट और हाथ के दस्तानों के पैनल बोर्ड पर काम कर रहे थे, जो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है। आग की तीव्रता इतनी थी कि कर्मचारी गंभीर रूप से झुलस गए।
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घटना के तुरंत बाद प्रेम प्रकाश शर्मा को प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वर्तमान में उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है, और उनका उपचार अपोलो अस्पताल में चल रहा है।
रिफाइनरी प्रबंधन पर सवाल
इस हादसे ने मथुरा रिफाइनरी के सुरक्षा मानकों और प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सूत्रों का दावा है कि कर्मचारी के बिना उचित सुरक्षा उपकरणों के काम करने की अनुमति देना रिफाइनरी के सुरक्षा प्रोटोकॉल में कमी को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, रिफाइनरी प्रबंधन ने इस घटना को दबाने की कोशिश की, जिससे प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल की इस मामले में भूमिका पर भी नजरें टिकी हैं। कर्मचारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं रिफाइनरी में सुरक्षा उपायों की अनदेखी का परिणाम हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रिफाइनरी प्रबंधन इस घटना के बाद सुरक्षा मानकों को और सख्त करने के लिए क्या कदम उठाता है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी
सूत्रों के अनुसार, प्रेम प्रकाश शर्मा जिस समय हादसे का शिकार हुए, वे बिना आईएफआर सूट और सुरक्षा दस्तानों के काम कर रहे थे। यह रिफाइनरी जैसे उच्च जोखिम वाले कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य के दौरान उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग अनिवार्य है। इस घटना ने रिफाइनरी में सुरक्षा प्रशिक्षण और उपकरणों की उपलब्धता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
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प्रशासनिक और सामुदायिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने मथुरा रिफाइनरी के कर्मचारियों और स्थानीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी है। कर्मचारी यूनियनों ने मांग की है कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। स्थानीय लोग भी रिफाइनरी के सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि मथुरा रिफाइनरी एक प्रमुख औद्योगिक इकाई है, और इस तरह के हादसे न केवल कर्मचारियों, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी खतरा बन सकते हैं।
रिफाइनरी प्रबंधन का रुख
रिफाइनरी प्रबंधन ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन ने इस हादसे को कम महत्व देने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के बीच चर्चा के बाद यह मामला सामने आया। रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे इस घटना की जांच के लिए एक समिति गठित करें और सुरक्षा मानकों को लागू करने के लिए सख्त कदम उठाएं।
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मथुरा रिफाइनरी में प्रेम प्रकाश शर्मा के साथ हुआ यह हादसा न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि रिफाइनरी के सुरक्षा प्रोटोकॉल और प्रबंधन की लापरवाही को भी उजागर करता है। इस घटना ने कर्मचारियों की सुरक्षा और औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाया है। अब सभी की नजरें रिफाइनरी प्रबंधन और प्रशासन पर टिकी हैं, कि वे इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं।