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Mathura news; सीआईएसएफ की राष्ट्रीय अग्निशमन प्रशिक्षण पहल: 22 राज्यों के 150 शहरों में 380 अग्निशामकों को उन्नत प्रशिक्षण

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अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर

मथुरा। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत का एकमात्र केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) जिसके पास समर्पित अग्निशमन विंग है, ने देशव्यापी अग्निशमन प्रशिक्षण पहल शुरू की है। इस पहल के तहत 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 150 शहरों से 380 अग्निशामकों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। यह कार्यक्रम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर शुरू किया गया, जिन्होंने सीआईएसएफ स्थापना दिवस 2023 के दौरान बल को 100 भारतीय शहरों के अग्निशमन कर्मियों को प्रशिक्षित करने का दायित्व सौंपा था।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का विवरण

सीआईएसएफ ने गृह मंत्री के निर्देश के बाद हैदराबाद स्थित अपने फायर सर्विस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एफएसटीआई) में एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया, जो राज्य अग्निशमन सेवा कर्मियों के कौशल को उन्नत करने पर केंद्रित है। इस पाठ्यक्रम में आधुनिक अग्निशमन तकनीक, बचाव प्रक्रियाएं, और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। विशेष रूप से, घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों और खतरनाक औद्योगिक इकाइयों में अग्निशमन की चुनौतियों पर ध्यान दिया गया है। इसके अतिरिक्त, रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल, और परमाणु (सीबीआरएन) आपातकालीन स्थितियों से निपटने की तैयारी और रासायनिक युद्ध एजेंटों के खिलाफ रणनीतियों को भी शामिल किया गया है।

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वर्ष 2023-24 में, एफएसटीआई ने 11 प्रशिक्षण बैच आयोजित किए, जिनमें 113 शहरों के 274 अग्निशामकों को प्रशिक्षित किया गया। इस पहल को 2025 में और गति मिली, जब पांच अतिरिक्त बैच आवंटित किए गए। इनमें से चार बैच पूरे हो चुके हैं, जिनमें 10 राज्यों के 46 शहरों से 106 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। पांचवां बैच 25 अगस्त 2025 को शुरू होने वाला है। अब तक, इस कार्यक्रम ने 150 शहरों के 380 अग्निशामकों को प्रशिक्षित किया है।

सीआईएसएफ की प्रतिबद्धता और भविष्य की योजनाएं

सीआईएसएफ के प्रवक्ता ने इस पहल को एक अनूठा प्रयास बताते हुए कहा, “एक समर्पित फायर विंग के साथ एकमात्र सीएपीएफ के रूप में, सीआईएसएफ अग्निशमन कर्मियों के तकनीकी कौशल को बढ़ाने और अग्नि सुरक्षा व आपदा प्रबंधन के लिए एक सक्रिय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम नवीनतम अग्नि सुरक्षा अनुसंधान और प्रथाओं के अनुरूप हैं, जो अग्निशामकों को आपातकालीन प्रतिक्रिया और रोकथाम दोनों के लिए सशक्त बनाते हैं।”

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सीआईएसएफ ने यह भी घोषणा की है कि यदि राज्य अपने अग्निशामकों को नामांकित करने के इच्छुक हैं, तो 2025 के प्रशिक्षण कैलेंडर में अतिरिक्त स्लॉट्स को समायोजित किया जा सकता है। यह लचीलापन इस पहल को और व्यापक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

एफएसटीआई: अग्निशमन प्रशिक्षण का केंद्र

हैदराबाद में स्थित एफएसटीआई एक अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र है, जो भारत में अग्निशमन प्रशिक्षण का आधार माना जाता है। यह न केवल सीआईएसएफ कर्मियों को प्रशिक्षित करता है, बल्कि विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए भी उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करता है। सीआईएसएफ यूनिट आईओसी मथुरा के इकाई प्रभारी डॉ. नीरज भारती, उप-कमांडेंट, ने कहा, “एफएसटीआई अग्नि सुरक्षा में सीआईएसएफ की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करता है। यह पहल भारत की शहरी सुरक्षा और संरक्षा अवसंरचना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।”

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मथुरा रिफाइनरी हादसे से सबक

हाल ही में मथुरा रिफाइनरी में हुए एक हादसे, जिसमें कर्मचारी प्रेम प्रकाश शर्मा इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड में आग लगने से झुलस गए थे, ने सुरक्षा मानकों की आवश्यकता को और रेखांकित किया है। इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि उन्नत प्रशिक्षण और सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल कितने महत्वपूर्ण हैं। सीआईएसएफ की यह प्रशिक्षण पहल ऐसी घटनाओं को रोकने और औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप

यह प्रशिक्षण पहल भारत सरकार के आपदा-प्रतिरोधी भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। सीआईएसएफ का लक्ष्य राज्य अग्निशमन सेवाओं के साथ साझेदारी को और मजबूत करना है, ताकि जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक सक्रिय और प्रभावी तंत्र विकसित किया जा सके। इस कार्यक्रम ने न केवल अग्निशामकों के कौशल को उन्नत किया है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में अग्नि सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की संस्कृति को भी बढ़ावा दिया है।

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सीआईएसएफ की यह राष्ट्रीय अग्निशमन प्रशिक्षण पहल भारत को आपदा-प्रतिरोधी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मथुरा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में इस तरह के प्रशिक्षण की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है, जहां अग्नि सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की आवश्यकता सर्वोपरि है। यह पहल न केवल अग्निशामकों को सशक्त बना रही है, बल्कि समुदायों को सुरक्षित और अधिक लचीला बनाने में भी योगदान दे रही है।

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