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Chhindwara news; आदिवासी की पुलिस कस्टडी में मौत पर गुलाबी गैंग का आक्रोश, पूर्णिमा वर्मा ने की CBI जांच और निलंबन की मांग

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अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी

छिंदवाड़ा/मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा क्षेत्र में 3 जून 2025 को तिगांव मांडवी में हुई एक आदिवासी व्यक्ति की पुलिस कस्टडी में मौत की घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। गुलाबी गैंग की कमांडर पूर्णिमा वर्मा ने 19 जून 2025 को देव होटल, छिंदवाड़ा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटना की निंदा करते हुए CBI जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के निलंबन की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे जिला जेल के सामने आमरण अनशन शुरू करेंगी।

घटना का विवरण

पूर्णिमा वर्मा ने बताया कि 3 जून 2025 को तिगांव मांडवी में एक आदिवासी व्यक्ति को उप-निरीक्षक (SI) शिवकरण पांडे, शराब ठेकेदार अज्जू ठाकुर के दो गुर्गों के साथ मिलकर, जबरन घर से उठा ले गए। मृतक की पत्नी शर्मिला और एक चश्मदीद रिश्तेदार के अनुसार, मृतक न तो शराब बेच रहा था और न ही शराब की दुकान पर था। फिर भी, SI पांडे ने उस पर आबकारी अधिनियम धारा 34(2) के तहत फर्जी मामला दर्ज किया।

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4 जून 2025 को मृतक को जिला जेल में भेजा गया। उस समय वह शारीरिक रूप से स्वस्थ था, लेकिन जेल में उसकी हालत बिगड़ गई। शर्मिला ने बताया कि उनके पति ने मृत्यु से पहले बताया था कि SI पांडे और अन्य पुलिसकर्मियों ने उनकी छाती पर जूतों से मारपीट की, जिससे पूरे शरीर में दर्द और छाती में गंभीर चोटें आईं। जेल के डॉक्टर द्वारा प्राथमिक उपचार के बावजूद, 8 बजे मृतक को जिला अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी मृत्यु हो गई।

गुलाबी गैंग और पीड़ित परिवार की मांगें

पूर्णिमा वर्मा ने मुंबई से लौटने के बाद तिगांव पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और पांढुर्णा पुलिस अधीक्षक से फोन पर चर्चा की। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि SI शिवकरण पांडे को लाइन अटैच कर दिया गया है और घटना की जांच प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी गई है। हालांकि, पूर्णिमा वर्मा ने इस जांच को अपर्याप्त बताते हुए निम्नलिखित मांगें रखीं:

CBI जांच: घटना की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच के लिए CBI को जिम्मेदारी सौंपी जाए।

जिम्मेदारों का निलंबन: SI शिवकरण पांडे, जिला जेल अधीक्षक, और घटना के समय ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।

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जेल प्रबंधन पर कार्रवाई: जेल प्रबंधन की लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

आदिवासी समुदाय की सुरक्षा: आदिवासियों पर फर्जी प्रकरण और अत्याचार रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। शर्मिला ने गुलाबी गैंग के सामने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा: “हम गरीब आदिवासियों को डराया-धमकाया जाता है। मेरे पति की हत्या पुलिस और शराब ठेकेदार के गुर्गों ने की। हम चाहते हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”

पूर्णिमा वर्मा का आमरण अनशन का ऐलान

पूर्णिमा वर्मा ने कहा कि मोहन सरकार के शासन में आदिवासी समुदाय पर अत्याचार बढ़े हैं और वे इसका काल बन गई है। उन्होंने चेतावनी दी: “यदि एक सप्ताह के भीतर जिला जेल अधीक्षक और अन्य जिम्मेदारों का निलंबन नहीं होता, तो मैं जेल तिराहा, छिंदवाड़ा में आमरण अनशन शुरू करूंगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।” उन्होंने पूरे प्रदेश में आदिवासियों पर बन रहे फर्जी प्रकरणों को गंभीर मुद्दा बताते हुए सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की।

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आदिवासी समुदाय की स्थिति

छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी समुदाय लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। पूर्णिमा वर्मा ने कहा कि पुलिस और स्थानीय प्रभावशाली लोगों द्वारा आदिवासियों को डराने-धमकाने और फर्जी मामलों में फंसाने की घटनाएं आम हो गई हैं। इस घटना ने स्थानीय आदिवासी समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

पांढुर्णा पुलिस अधीक्षक ने प्रारंभिक कार्रवाई के तौर पर SI शिवकरण पांडे को लाइन अटैच किया है, लेकिन पीड़ित परिवार और गुलाबी गैंग इस कार्रवाई को नाकाफी मानते हैं। जिला प्रशासन और जेल प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह घटना मध्यप्रदेश में आदिवासी अधिकारों और पुलिस सुधार के मुद्दों को फिर से उजागर करती है। गुलाबी गैंग की सक्रियता और पूर्णिमा वर्मा की आमरण अनशन की चेतावनी ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। आदिवासी समुदाय के नेताओं ने इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला बताया है और केंद्र व राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।

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भविष्य की दिशा

पूर्णिमा वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और मध्यप्रदेश सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की अपील की है। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो छिंदवाड़ा में प्रस्तावित आमरण अनशन से प्रशासन पर दबाव बढ़ सकता है। यह घटना न केवल छिंदवाड़ा, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय के साथ हो रहे कथित अन्याय को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकती है। गुलाबी गैंग और पीड़ित परिवार की मांगें निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की दिशा में एक मजबूत कदम हैं। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस संवेदनशील मामले में कितनी तत्परता से कार्रवाई करती है।

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