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अखिल सुर्यवंशी
खापाभाट/छिंदवाड़ा। आदिवासी समाज के महानायक और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के 125वें बलिदान दिवस के अवसर पर, महिला सेवा दल ने खापाभाट में एक विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम जिला मुख्य संगठक सुरेश कपाले के निर्देशानुसार वार्ड नंबर 10 की अध्यक्ष लोकेश्वरी उइके के निवास स्थान पर आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
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बिरसा मुंडा के योगदान पर चर्चा
कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने धरती आबा बिरसा मुंडा की जीवनी और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला। जिला महिला सेवा दल अध्यक्ष डॉ. शबाना यास्मीन खान ने बताया कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जल, जंगल, और जमीन की रक्षा के लिए ऐतिहासिक उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों की जमीन छीनने और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष किया, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल में डाला गया और यातनाएं सहनी पड़ीं। 9 जून 1900 को मात्र 25 वर्ष की आयु में उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
महिला सेवा दल की टीम ने बिरसा मुंडा के बलिदान और उनके प्रकृति के प्रति प्रेम को स्मरण करते हुए वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर आम, नीम, और अन्य स्थानीय प्रजातियों के पौधे रोपे गए। सभी उपस्थित महिलाओं ने इन पौधों के संरक्षण की शपथ ली, जो बिरसा मुंडा के जल, जंगल, और जमीन के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि बिरसा मुंडा की विरासत को जीवित रखने का भी प्रतीक है।
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उपस्थित गणमान्य
कार्यक्रम में जिला महिला सेवा दल अध्यक्ष डॉ. शबाना यास्मीन खान, वार्ड नंबर 10 की अध्यक्ष लोकेश्वरी उइके, शकुंतला उइके, सलीका करयाम, सीता सरेयाम, संगीता बट्टी, संध्या कुमरे, लखनिया कुमरे, काजल रोडके, अंकिता नवरेती, देवकी कुमरे, सिंधु यादव, मनौती पाल, चमरू उइके, और दिवाकर बोरकर सहित कई अन्य आदिवासी महिलाएं और समाजसेवी उपस्थित रहे।
सामाजिक प्रभाव
यह आयोजन न केवल बिरसा मुंडा के बलिदान को श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास था, बल्कि आदिवासी समुदाय की महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जागरूकता के लिए प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण रहा। महिला सेवा दल ने इस कार्यक्रम के माध्यम से आदिवासी समाज की एकता, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी, और बिरसा मुंडा की शिक्षाओं को जीवित रखने का संदेश दिया।
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आगे की योजना
डॉ. शबाना यास्मीन खान ने बताया कि महिला सेवा दल भविष्य में भी इस तरह के आयोजन आयोजित करेगा, ताकि बिरसा मुंडा के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके। यह कार्यक्रम आदिवासी अस्मिता, पर्यावरण संरक्षण, और सामुदायिक एकता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।