Breaking
Fri. Jun 27th, 2025

Bahraich news; बहराइच में काव्य गोष्ठी: “खिले हैं यादों के ताज़ा गुलाब आंगन में” पर कवियों ने बिखेरे रंग, नाज़िम बहराइची को ‘फातेह नशिस्त’ सम्मान

Spread the love

अतुल्य भारत चेतना
रईस

बहराइच। स्थानीय साहित्यिक संस्था बज़्मे नूरे अदब के तत्वावधान में बहराइच में एक भव्य तरही काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद के ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। गोष्ठी का “खिले हैं यादों के ताज़ा गुलाब आंगन में” पंक्ति पर आधारित था। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर एम. रशीद ने की, जबकि संचालन शायर राशिद राही ने किया।

इसे भी पढ़ें : मानसिक संकीर्णता

गोष्ठी का शुभारंभ और सम्मान समारोह

कार्यक्रम का शुभारंभ बज़्मे नूरे अदब के अध्यक्ष एवं भाजपा उपाध्यक्ष जावेद जाफरी द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने जनपद के वरिष्ठ पत्रकार ताहिर हुसैन और परवेज़ रिज़वी को निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए मासिक पत्रकारिता सम्मान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त, सामाजिक एकता और सद्भाव के लिए कार्य करने वाले हाजी सेराज नय्यर को राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

काव्य रचनाओं का जादू

काव्य गोष्ठी में सभी कवियों ने पूर्वनिर्धारित पंक्ति “खिले हैं यादों के ताज़ा गुलाब आंगन में” को आधार बनाकर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इन रचनाओं में स्मृतियों, संवेदनाओं और जीवन की विविध अनुभूतियों का सुंदर चित्रण देखने को मिला। काव्यपाठ में सरसता और गंभीरता का अनूठा संगम रहा।

इसे भी पढ़ें : धरती पर विधि के विधान से, बंधा हुआ हर एक चराचर…

  • गुलशन पाठक ने अपनी रचना में पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को उजागर करते हुए पढ़ा:
    “घर की बातें भी मेरे यार रह गई घर में, हुआ जो भाई से सारा हिसाब आंगन में।”
  • अंजुम ज़ैदी ने प्रेम और सौंदर्य को व्यक्त करते हुए कहा:
    “नहा रहा हूं मैं अंगड़ाइयों के पानी में, बरस रहा है किसी का शबाब आंगन में।”
  • मंज़ूर बहराइची ने भावनाओं की गहराई को छूते हुए प्रस्तुत किया:
    “तभी तो रहता हूं जनाब आंगन में, खिले हैं यादों के ताज़ा गुलाब आंगन में।”
  • नाज़िम बहराइची की रचना ने श्रोताओं का दिल जीत लिया:
    “मैं उसकी झील सी आंखों में ऐसा डूबा हूं, पिला दी आंखों से उसने शराब आंगन में।”
    उनकी इस रचना को निर्णायक मंडल ने सर्वश्रेष्ठ घोषित किया, और उन्हें ‘फातेह नशिस्त’ सम्मान से नवाजा गया।
  • राशिद राही ने अपनी भावपूर्ण ग़ज़ल से सामाजिक चेतना को जगाया:
    “लहू से फिर मेरे तारीख लिखी जाएगी, फिर आ गया है, इंकलाब मेरे आंगन में।”
  • नदीम ताबिश ने हास्य के चुटीले अंदाज़ में श्रोताओं को गुदगुदाया:
    “विवाह अब कियो चालीस के पार जब होय गेव, उम्मीद रखे हो की खिलिहैं गुलाब आंगन में।”
  • गोष्ठी के अध्यक्ष एम. रशीद ने अपनी गंभीर ग़ज़ल से सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया:
    “ये झूठ और ये ग़ीबत, ये नफरतों का हुजूम, उतर न आए खुदा का अज़ाब आंगन में।”
    उनकी इस रचना ने श्रोताओं को गहरे तक प्रभावित किया।

सम्मान और समापन

गोष्ठी के अंत में निर्णायक मंडल ने नाज़िम बहराइची की रचना को सर्वश्रेष्ठ घोषित करते हुए उन्हें ‘फातेह नशिस्त’ सम्मान प्रदान किया। संचालक राशिद राही ने सभी कवियों, अतिथियों और साहित्य प्रेमी श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इस तरह के आयोजन साहित्य और संस्कृति को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

इसे भी पढ़ें: बाबा नीम करोली कैंची धाम की महिमा तथा नीम करोली बाबा के प्रमुख संदेश!

उपस्थित गणमान्य और साहित्य प्रेमी

इस काव्य गोष्ठी में एम. रशीद (अध्यक्ष), हाजी सेराज नय्यर, अंजुम ज़ैदी, मंज़ूर बहराइची, हैदर हल्लोरी, नदीम ताबिश, गुलशन पाठक, राशिद राही, नाज़िम बहराइची, अकरम सईद, मामून रशीद, मोहम्मद सलीम, राजू भाई, शेबू, जिया रिज़वी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

इसे भी पढ़ें: लोन, फाइनेंस, इंश्योरेंस और शेयर ट्रेडिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

यह काव्य गोष्ठी बहराइच के साहित्यिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण आयोजन साबित हुई। बज़्मे नूरे अदब के इस प्रयास ने न केवल स्थानीय कवियों को मंच प्रदान किया, बल्कि साहित्य प्रेमियों को एक यादगार अनुभव भी दिया। इस तरह के आयोजन साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Responsive Ad Your Ad Alt Text