4 Lakh Mahakumbh Workers: Kya 144 Saal Tak Jobs Ka Intezaar Karenge? Akhilesh
हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं, और इस भव्य आयोजन के लिए लाखों मजदूरों की जरूरत होती है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 के लिए करीब 4 लाख श्रमिकों को अस्थायी रूप से रोजगार मिला। लेकिन जब यह आयोजन समाप्त हो जाएगा, तब इन मजदूरों का भविष्य क्या होगा? क्या उन्हें अगले 144 वर्षों तक इंतजार करना पड़ेगा ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके? यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब सरकार और समाज को ढूंढना होगा।
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महाकुंभ के अस्थायी रोजगार का सच
महाकुंभ में लाखों लोग कार्यरत होते हैं, जिनमें सफाई कर्मचारी, निर्माण मजदूर, सुरक्षाकर्मी, ट्रांसपोर्ट कर्मचारी, खानपान सेवाएं देने वाले और अस्थायी दुकानदार शामिल होते हैं। इनका रोजगार महज कुछ महीनों का होता है, जो मेले के बाद खत्म हो जाता है।
बात अगर प्रयागराज की करें, तो यहां महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, घाटों, टेंट सिटी और अन्य जगहों पर हजारों लोग काम करते हैं। लेकिन जब यह मेला समाप्त होता है, तो अचानक ये सभी बेरोजगार हो जाते हैं।
144 साल का इंतजार क्यों?
12 साल में एक बार होने वाले महाकुंभ में जिन लोगों को रोजगार मिलता है, वे हर आयोजन के बीच 12 साल के लंबे इंतजार के लिए मजबूर हो जाते हैं। अगर एक मजदूर की औसतन उम्र 60 साल मानें, तो उसके पास महाकुंभ में कार्य करने के सिर्फ 4 या 5 अवसर होते हैं। यानी एक ही व्यक्ति का अपने जीवनकाल में इस रोजगार का लाभ लेने के लिए 144 साल तक इंतजार करना असंभव है।
क्या सरकार इन श्रमिकों के बारे में सोचती है?
सरकार हर महाकुंभ के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में भारी निवेश करती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह निवेश मजदूरों के दीर्घकालिक रोजगार के लिए किया जाता है? अगर इन मजदूरों को कुंभ के बाद भी काम मिलता रहे, तो उनके जीवन स्तर में सुधार हो सकता है।
सरकार की कुछ योजनाएँ हैं, जैसे –
- स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स – श्रमिकों को नए कौशल सिखाने की योजना।
- स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण – ताकि निर्माण मजदूरों को कुंभ के बाद भी रोजगार मिले।
- स्व-रोजगार योजनाएँ – जिसमें छोटे व्यापारों को बढ़ावा दिया जाता है।
लेकिन क्या यह योजनाएँ जमीनी स्तर पर प्रभावी हैं? यह एक बड़ा प्रश्न है।
समाधान क्या हो सकता है?
महाकुंभ खत्म होने के बाद इन श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए कुछ संभावित उपाय हो सकते हैं:
- स्थायी रोजगार के अवसर – सरकार को ऐसे प्रोजेक्ट शुरू करने चाहिए जो मेले के बाद भी जारी रहें, जैसे टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर, होटल, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट।
- श्रमिकों का पुनर्वास – जिन मजदूरों को महाकुंभ के लिए अस्थायी रूप से काम पर रखा गया है, उन्हें अन्य सरकारी परियोजनाओं में समायोजित किया जाना चाहिए।
- स्थायी हाट और बाजार – कुंभ मेले में लगे छोटे दुकानदारों के लिए एक स्थायी हाट बनाया जा सकता है, जहां वे सालभर व्यापार कर सकें।
- शिक्षा और कौशल विकास – श्रमिकों के लिए नए व्यवसायों की ट्रेनिंग दी जाए, ताकि वे अन्य क्षेत्रों में भी काम कर सकें।
निष्कर्ष
हर महाकुंभ में लाखों श्रमिकों को रोजगार मिलता है, लेकिन इसका लाभ सिर्फ कुछ महीनों तक ही सीमित रहता है। इन मजदूरों के लिए 12 साल का इंतजार और 144 साल की कल्पना एक मजाक से कम नहीं है। सरकार और समाज को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और ऐसे समाधान निकालने चाहिए जिससे महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि स्थायी रोजगार सृजन का भी एक जरिया बन सके।