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International women’s Day poetry; एक कविता अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर: नारी

By News Desk Mar 8, 2025
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हे नारी कैसे मैं गीत तेरे गाऊं
गाता हूं तेरा गीत जब भी
घिर आते हैं नयनों में मेघ
दहेज प्रताड़ना व बलात्कार की
उभर आती है काली रेख
कोटि देव, ऋषि महर्षि जन
तेरा चरित्र अपार बतलाते हैं
आवश्यकता होने पर ये भी
तेरे रूप धर धरा पर आते हैं
पर तू भी तो भूल गई है आज
अपने इस महति गरिमा को
काश! सती सावित्री अनसूया की
जान लेती पात्यव्रत की महिमा को
न हो सकती बलात्कार कभी
न प्रताड़ना ही सहती तू
जान लेती गऱ निज तेज का प्रभाव
अब भी निर्मल गंगा सी बहती तू।

-प्रमोद कश्यप “प्रसून”
रतनपुर, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
अतुल्य भारत चेतना-संवाददाता


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