अतुल्य भारत चेतना
भावना सक्सेना
महोबा। नवरात्रि के 9 दिनों में नवदुर्गाओं की पूजा-आराधना के साथ कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि की पूजा संपूर्ण मानी जाती है। कन्या पूजन के लिए 9 कन्या और एक बटुक बुलाने की परंपरा है। कन्याओं को मां दुर्गा के 9 स्वरुपों का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि विधि-विधान से कन्या पूजन करने पर माता रानी अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं। घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। नवरात्रि व्रत के दौरान कुंआरी कन्या पूजन या कौमारी पूजन का विशेष महत्व होता है। इसके बिना नवरात्रि व्रत अधूरा होता है। इस दिन भक्त नौ दिन व्रत रखने के बाद कन्याओं को भोजन कराने के बाद अपना व्रत खोलते हैं।


कौमारी पूजन विशेषकर महासप्तमी, महाष्टमी या महानवमी को किया जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। ये कन्याएं 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष से कम आयु की हों तो अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि इससे भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है। हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।
महोबा जिले के अन्तर्गत स्थित बड़ी माता कमेटी द्वारा विधि-विधान के साथ कन्या पूजन कर कन्या भोज संपन्न कराया गया। इस दौरान प्रमुख रूप से अध्यक्ष श्री प्रकाश मिश्रा, डॉक्टर मंगल महान, राजू तिवारी, गौरव बाबा, अंश अग्रवाल, छोटू वर्मा, सुमित साहू, बेटू मिश्रा अभी मिश्रा आदि शामिल रहे।